शिवपुरी। जहां एक ओर प्रधानमंत्री 2022 तक सभी आवासहीन गरीबों को आवास देने का वादा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस योजना को अमलीजामा पहनाने वाले जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं. जिसकी वजह से समाज के वंचित आदिवासी वर्ग को घास-फूस से बनी झोपड़ियों में रहना पड़ रहा है. बात पोहरी जनपद पंचायत क्षेत्र के गुरिच्छा ग्राम पंचायत की है. जहां लोगों को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ आज तक नहीं मिल पाया है.
इस बस्ती में 50 के करीब आदिवासी परिवार निवास करते हैं. जो जंगल से लकड़ी काटकर या मजदूरी कर किसी तरह दो जून की रोटी का इंतजाम करते हैं. ऐसे में अपना घर बनाने की क्षमता इनमें नहीं है. यही कारण है कि ये आज भी कच्ची झोपड़ियों में रहते हैं, वो भी बरसात में जर्जर हालत में पहुंच गईं हैं.
30 साल से लगा रहे गुहार
इस संबंध में 60 साल के बुजुर्ग रमासी आदिवासी ने बताया कि पिछले 30 साल से उनका पूरा परिवार झोपड़ी में निवास कर रहा है. प्रधानमंत्री आवास के लिए वे कई बार सरपंच-सचिव से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. वहीं जनप्रतिनिधि भी चुनावों के वक्त ही वोट मांगने गांव में आते हैं, घर बनवाने के वादे करते हैं और चुनाव जीतने के बाद शक्ल दिखाने भी नहीं आते.
योजना के बारे में नहीं जानकारी