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शिवपुरी: विस्थापन और मुआवजे की मांग पर अड़े ग्रामीण, किया मतदान का बहिष्कार - मध्यप्रदेश उपचुनाव अपडेट्स

शिवपुरी की पोहरी विधानसभा क्षेत्र में बूढ़दा गांव के ग्रामीणों ने विस्थापन और मुआवजे की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया है.

Villagers boycott voting
पोहरी विधानसभा में मतदान का बहिष्कार

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Published : Nov 3, 2020, 2:54 PM IST

शिवपुरी।एक ओर जहां प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए लोग बढ़-चढ़कर मतदान करने जा रहे हैं, वहीं शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा क्षेत्र में हो रहे विधानसभा उपचुनाव में बूढ़दा गांव के ग्रामीणों ने विस्थापन और मुआवजे की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया है. निर्वाचन आयोग ने यहां मतदान दल के साथ कोविड-19 और सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए हैं, इसके बावजूद कोई भी मतदाता 12:30 बजे तक मतदान करने नहीं गया.

पोहरी विधानसभा में मतदान का बहिष्कार

दिया जाता है सिर्फ आश्वासन

पूर्व सरपंच मंगल सिंह तोमर, बृजेंद्र सिंह तोमर और वहां मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि साल 2012 में बूढ़दा में अपर ककैटो डेम बनने के बाद बूढ़दा गांव तीन ओर से पानी से घिर गया है. गांव की निचली बस्ती में घरों तक में पानी भर जाता है. बावजूद इसके प्रशासन सिर्फ आश्वासन देता है. न तो ग्रामीणों को मुआवजा दिया गया है और न ही उन्हें विस्थापित कर दूसरी जगह जमीन दी जा रही है. लगातार यहां के ग्रामीण प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगा चुके हैं. लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने के बाद ग्रामीणों ने एक राय से मतदान के बहिष्कार का फैसला लिया है, जिस पर ग्रामीण अब तक कायम हैं.

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कलेक्टर ने की थी अपील

31 अक्टूबर को कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह और एसपी राजेश सिंह चंदेल भी बूढ़दा गांव पहुंचे और ग्रामीणों से मतदान करने की अपील की थी. इसके बाद भी ग्रामीण अपनी मांग मुआवजा और रहने के लिए जमीन की मांग पर अड़ें हैं.

कौन-कौन है प्रत्याशी

प्रत्याशीपार्टी
सुरेश राठखेड़ा बीजेपी
हरिवल्लभ शुक्ला कांग्रेस
कैलाश कुशवाह बसपा
पारम सिंह रावत निर्दलीय

बीजेपी-कांग्रेस की ताकत-कमजोरी

कांग्रेस की ताकत

पिछली बार कांग्रेस से जीत दर्ज करने वाले सुरेश धाकड़ से जनता अपने पिछले काम का हिसाब मांग रही है. इसी को मोहरा बनाकर कांग्रेस अपने उम्मीदवार हरिवल्लभ शुक्ला के लिए वोट निकाल सकती है.

कांग्रेस की कमजोरी

कांग्रेस की कमजोरी भी हरिवल्लभ शुक्ला ही हो सकते हैं. क्योंकि धाकड़ बाहुल्य वोटर्स से ब्राह्मण उम्मीदवार के लिए वोट जुटाना एक चुनौती साबित हो सकती है.

बीजेपी की ताकत

पोहरी सीट धाकड़ बाहुल्य होने की वजह से बीजेपी के नए उम्मीदवार सुरेश धाकड़ को सफलता मिल सकती है. पोहरी की सीट पर इससे पहले भी बीजेपी ही हावी रही है, एक तरह से इस सीट को बीजेपी का गढ़ भी कह सकते हैं.

बीजेपी के लिए चुनौती

2018 विधानसभाचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार प्रहलाद भारती पोहरी की सीट पर 2013 और 2008 में विधायक थे. जो इस बार होने वाले उपचुनाव से दूरी बनाए हुए हैं, जिसका नुकसान पार्टी को प्रहलाद भारती के वोट गंवाकर चुकाना पड़ सकता है.

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