भोपाल।सहकारी बैंकों में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों पर सरकार ने सख्त कार्रवाई की है. सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने करप्शन के मामलों में 4 सीईओ सहित 14 लोगों को निलंबित किया है. इसके साथ ही गबन करने वाले आरोपियों की संपत्ति को भी अटैच कर लिया गया है. सहकारी बैंक में इस तरह की गड़बडियों को उजागर करने लिए सहकारिता मंत्री ने इस मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए एक कमेटी का भी गठन किया है. मंत्री ने कर्मचारियों और अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि सहकारिता विभाग में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति सख्ती से लागू है और गड़बड़ी सामने आने पर आरोपी इसी तरह की कार्रवाई के लिए तैयार रहें. ईटीवी भारत ने कुछ किसानों से बात की जो इस घोटाले का शिकार हुए हैं.
कोलारस शाखा में ऐसे हुआ 80 करोड़ रुपये का घोटाला
इस मामले में चार मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित 14 कर्मचारी को किया गया निलंबित किया गया है. जिसमें सहकारी बैंक शिवपुरी में पूर्व में पदस्थ्य रहे मुख्य कार्यपालन अधिकारी ए एस कुशवाह, डीके सागर, वाय के सिंह और वर्तमान में पदस्थ लता कृष्णन का निलंबन हुआ है. घोटाला उजागर होने के बाद ही कोलारस शाखा के कैशियर घोटाले के मास्टर माइंड राकेश पराशर, दो प्रबंधक सहित 3 लोगों पर एफआइआर दर्ज कराई गई थी, इन तीनों लोगों पर फरारी के दौरान दो दो हजार का इनाम भी घोषित किया गया है.
ऐसे दिया गया घोटाले को अंजाम, सुनिए किसान की जुबानी
राई के रहने वाले किसान मनोज शिवहरे ने बताया कि उनके द्वारा साल 2020 में 100 क्विंटल चना समर्थन मूल्य पर बेचा गया था. उन्हें 1 साल से ज्यादा का समय हो गया, लेकिन अभी तक मेरे चने का पेमेंट नही हुआ. मनोज कहते हैं कि उन्होंने कोलारस स्थित कोऑपरेटिव बैंक में कई चक्कर लगाए लेकिन यहां उनकी किसी ने नहीं सुनी. इसके बाद मनोज ने न्यायालय की शरण लेना पड़ी. जिसके बाद कोलारस के कोऑपरेटिव बैंक में ₹80 करोड़ के घपले का खुलासा हुआ. बैंक के अधिकारी घोटाला करने में बिजी थे और हम छोटे छोटे किसान अपनी उपज के पैसे के लिए दर-दर भटक रहे हैं.