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स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही, कड़कड़ाती सर्दी में प्रसूताओं को जमीन पर लिटाया

शिवपुरी के लुकवासा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां पलंग नहीं होने से प्रसूताओं और नवजातों को जमीन पर लिटाया जा रहा है. इतना ही नहीं अस्पताल में नीचे बिछाने के लिए गद्दे और ओढ़ने के लिए रजाई की भी कोई व्यवस्था नहीं है.

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बड़ी लापरवाही

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Published : Dec 21, 2020, 1:45 PM IST

Updated : Dec 21, 2020, 8:02 PM IST

शिवपुरी। जिले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. कड़कड़ाती सर्दी में लुकवासा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसूताओं और नवजातों को जमीन पर लिटाया जा रहा है. इतना ही नहीं अस्पताल में नीचे बिछाने के लिए गद्दे और ओढ़ने के लिए रजाई की भी कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते प्रसूताओं और उनके परिजनों को बाजार से किराए पर रजाई व गद्दे लाना पड़ रहे हैं. पीने के पानी की व्यवस्था भी अस्पताल में नहीं है. ऐसे में लोग परेशान हैं और सबकुछ जानने के बाद भी स्वास्थ्य महकमा इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही
  • प्रसूताओं का नहीं मिला पलंग

जानकारी के मुताबिक लुकवासा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसूताओं के लिए महज 6 पलंग उपलब्ध हैं. ऐसे में 6 से अधिक प्रसूताएं जब एक ही दिन में केन्द्र पर आती हैं, तो उनको और नवजात बच्चे ऐसी सर्दी में नीचे ठंडे फर्श पर सोना पड़ रहा है. साथ आने वाले परिवार के अन्य सदस्य को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही अस्पताल में गद्दे और रजाई की कोई व्यवस्था नहीं है. पलंग वालों को तो एक मामूली सा कम्बल मिल जाता है, लेकिन बिना पलंग वाली प्रसूताओं को तो वह कम्बल भी नसीब नहीं होता. ऐसे में परिजनों को पैसा खर्च करके बाजार से रजाई-गद्दे लाना पड़ते हैं. केन्द्र के ही आंकड़ों की मानें तो एक माह में करीब 90 से 100 प्रसूताएं आती हैं. ऐसे में कभी-कभी एक ही दिन में 10 से 15 प्रसूताएं आ जाती हैं, तो स्थिति बिगड़ जाती है.

  • पीने के पानी के लिए भी परेशान मरीज

अस्पताल में इलाज कराने जो मरीज और अंटेडर आते हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में पीने के पानी की भी व्यवस्था सही नहीं है. अस्पताल में एक बोर है जो कभी भी पानी देना बंद कर देता है. ऐसे में यहां भर्ती प्रसूताओं और उनके परिजनों को पीने के साथ अन्य काम के लिए बाजार से पानी खरीदकर लाना पड़ता है. जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस तरफ भी ध्यान देने को तैयार नहीं है.

Last Updated : Dec 21, 2020, 8:02 PM IST

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