शिवपुरी। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, खासकर सावन के सोमवार को लोग व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भोलेनाथ को मनाते हैं. यूं तो भगवान शिव कण-कण में विराजमान हैं. पर शिवपुरी जिले से लगभग 45 किलोमीटर दूर नरवर जाने वाले रास्ते पर घनघोर जंगल के बीच भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, जिसे महाकाल टपकेश्वर आश्रम के नाम से जाना जाता है. ये मंदिर रामायण काल का है. इस मंदिर में सबसे चौंकाने वाला रहस्य ये है कि पहाड़ों के बीच से निकल रहे पानी के स्रोत का आज तक कोई पता नहीं लगा सका है.
इसी मंदिर में साधना कर रहे मुख्य महंत के शिष्य ने बताया कि महंत ओंकार नंद महाराज चार माह तक मंदिर में मौजूद महाकाल की गुफा में ही तपस्या करते रहेंगे, उनकी साधना धनतेरस पर पूर्ण होगी. तब तक उनसे न तो कोई मिल सकता है और न ही गुफा के पास कोई जा सकता है. तपस्या पूर्ण होने के बाद ही महंत गुफा के बाहर अपने भक्तों से मिलेंगे.