शिवपुरी। जब ठान ही लिया कि अपनी ‘जिंदगी’ की जिंदगी बचानी है, तो फिर चुनौतियां कैसी और खतरे कैसे..? शादी के एक साल बाद पत्नी की किडनी फेल हो गई. साथ ही इलाज के दौरान हैपीटाइटस सी से भी पत्नी ग्रस्त हो गई, लेकिन लंबे इलाज के बाद पति ने बेजिझक आगे आकर अपनी किडनी पत्नी को डोनेट कर दी और अपना पति धर्म निभाया. इससे केवल पति को ही नहीं बल्कि पत्नी को भी नया जीवन मिल गया. पति द्वारा जीवन का सबसे बड़ा त्याग सभ्य समाज के लिए एक आईना बन गया.
जीवन में आए कठिन दिनों को याद करते हुए ललित मित्तल ने बताया कि 6 जून 2003 को उनकी शादी हुई. इस दौरान एक दिन उनकी नजर पत्नि के पैर पर पड़ी उनके पैर में सूजन थी. इस पर हम दोनों डॉक्टर के पास गए. जहां ब्लडप्रेशर अधिक होने के कारण डॉक्टर ने कार्डियोग्राम करने की सलाह दी.
पत्नी की रिपोर्ट नार्मल आई. इस पर डॉक्टर ने कहा कि यह किडनी की तकलीफ हो सकती है. जिसपर तुरंत एम्स दिल्ली में जाकर किडनी की जांच कराई. जहां पता चला कि पत्नि की दोनों किडनियां फेल हो गई है. जहां सभी तरह की जांच के बाद डॉक्टर ने डायलिसिस शुरू किया. लगातार 12 साल एम्स दिल्ली और ग्वालियर में हफ्ते में दो बाद डायलिसिस कराने के बीच साल 2012 में पत्नि को हैपीटाईटस सी बीमारी भी बन गई.
किडनी डाॅनेट करने के फैसले का परिजनों ने किया स्वागत
ललित ने बताया कि 'वह वक्त हमारे जिंदगी कि सबसे मुश्किल की घड़ी थी. हम उलझन में पड़ गए. आखिर में मैंने पत्नि कि जिंदगी बचाने के लिए रानी को अपनी किडनी देने का निर्णय लिया. परिवार और सभी ने मेरे इस फैसले का स्वागत किया. फिर डॉक्टर से बात की, मेरी जांच हुई, इसके बाद ललित ने पत्नी को किडनी डोनेट कर दिया.