शिवपुरी। हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण महामारी ने पर्व पर ग्रहण लगा दिया. ऐसा ही कुछ करैरा नगर स्थित बांके बिहारी के मंदिर में भी हुआ, जहां कोरोना संक्रमण के चलते धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार फीका पड़ गया.
बांके बिहारी के मंदिर लगभग 450 से 500 साल पुराना बताया जाता है. इस मन्दिर की बनावट भी पुरानी है, जहां ईंट और चूने की चिनाई से दीवाल और छत बनाई गई है. दीवालों पर की गई नक्कासी सालों पुराने होने का गवाह पेश करती है. इसमें विराजे भगवान बांके बिहारी की प्रतिमा संगमरमर की है. हर रोज सुबह-शाम यहां पर आरती के समय भक्तों की भीड़ होती है. वहीं जिस क्षेत्र में यह मंदिर है, उसे 'बिहारी गंज' नाम दिया गया है. यहां पहले मंदिर की पूजा रज्जब दास द्वारा की जाती थी.
बांके बिहारी के मंदिर से जुड़ी कई घटनाएं हैं, जिनसे भगवान के प्रति लोगों की अटूट आस्था है. उन्हीं में से एक घटना भक्तिन की है. माना जाता है की मंदिर के पास एक सेठ का मकान था, जिसका देहांत हो गया था. इसके बाद उनकी पत्नी ने घर में ही छोटी दुकान खोल ली थी, लेकिन एक दिन उन्होंने अपना मकान और सारी संपत्ति मंदिर के नाम कर दी, जिसके बाद से ही लोग महिला को भक्तिन के नाम से पुकारने लगे.