श्योपुर। भारतीय स्टेट बैंक के लॉकर से गोल्ड पैकेट्स चुराने वाले आरोपियों को पुलिस भले ही जेल भेज चुकी है, इसके बाद बरामद गोल्ड को उनके असली मालिकों तक पहुंचाने में नाकाम साबित हुई है. जिन लोगों का गोल्ड बैंक लॉकर में रखा था, अब वे पुलिस पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. मामला एसबीआई बैंक के रेलवे स्टेशन रोड स्थित शाखा का है. उपभोक्ताओं का कहना है कि पुलिस उन्हें सोने की पहचान करने के लिए बुला तो रही है, लेकिन सोना दिखाए बिना और बगैर शिनाख्त के ही गोल्ड ले जाने की बात कर रही है. इसमें उपभोक्ताओं को बड़ा नुकासान उठाना पड़ सकता है.
ग्राहकों ने पुलिस पर उठाए सवाल उपभोक्ताओं ने बयां किया दर्द
जोगा सिंह ने बताया कि टीआई ने उन्हें करीब एक हफ्ते तक बुलाया, तहसील कार्यालय के चक्कर लगवाए और अंत में कह दिया कि अपने गहनों की गिनती पूरी कर चलते बनें. बरामद सोने में से कोई भी गहना उठा लें. ये सब करने के पीछे पुलिस का मकसद इस मामले से निजात पाना है, लेकिन उपभोक्ता अपने ही सोने को पहचान कर उसे लेने की बात पर अड़े हैं. वे दूसरों के सोने को हाथ तक लगाने को तैयार नहीं हैं. रविंद्र सिंह का कहना है कि कोतवाली पुलिस तीन बार बुला चुकी है. सुबह बुलाकर शाम को वापस भेज देते हैं और कह देते हैं कि दूसरे दिन आना, लेकिन अभी तक सोना नहीं दिखाया जा सका है.
ये था पूरा मामला
बैंक के कैशियर राजीव पालीवाल और रेस्टोरेंट संचालक उसके दोस्त नवीन व एक महिला ज्योति गर्ग ने इस पूरी वारदात को अंजाम दिया था. जिसके बाद पुलिस ने छानबीन की और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. जानकारी के मुताबिक श्योपुर स्टेशन रोड की एसबीआई बैंक से 102 गोल्ड लोन के पैकेट्स चोरी हुए थे. इस मामले में बैंक मैनेजर ने 11 जून को कोतवाली में FIR दर्ज कराई थी. बैंक मैनेजर ने FIR में लॉकर से 7 करोड़ का 15 किलो सोना चोरी होने की बात कही थी.