श्योपुर। शनिवार को विजयपुर इलाके के गंजनपुरा और भूरापुरा गांव के 3 चरवाहे बदमाशों के चंगुल से छूटर अपने-अपने घर वापस भले ही लौट आए हैं लेकिन बदमाशों ने जो क्रूरता उनके साथ की है उसका डर अभी भी उनके मन से नहीं निकल सका है. घर वापस आने के बाद शनिवार की रात आठवें दिन वह पहली बार अपनी थकान मिटाने के लिए सोने की लाख कोशिश की लेकिन, बदमाशों के डर ने उन्हें अपनों के बीच खुद के घरों पर भी सोने नहीं दिया. जानिए अपहरण से छूटकर आए 'चरवाहों की जुबानी पूरी कहानी.'
डाकुओं के डर से नींद गायब: अगुआ हुए गुड्डा बघेल ने बताया कि "7 दिन बाद हम आठवें दिन जब घर पहुंचे तो रात को सोचा था कि, चैन की नींद सो लूंगा लेकिन जैसे ही नींद लगी वैसे ही बदमाशों के डर के मारे उठ बैठा. फिर मैंने देखा कि, मैं तो घर पर आ गया हूं यहां बदमाश नहीं आ सकते, मन को तसल्ली देकर थोड़ी देर बाद फिर सोने की कोशिश की लेकिन, नींद लगते ही फिर बदमाशों का डर लगा और फिर से नींद खुल गई. इस तरह से रातभर सोने की बजाए डर डर कर गुजारी."
पिलाया जूतों में पानी:गुड्डा ने बताया कि, "शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात पहले बदमाशों ने उन्हें जमकर मारा पीटा, फिर वह उन्हें करीब 20 किलोमीटर दूर तक चला कर जंगल में ले गए. हमारी आंखों पर पट्टी बांधी थी, हमें 2 दिन और 2 रात लगातार चलाया, तीसरे दिन खाने के लिए एक-एक रोटी हम तीनों के लिए दी. हमें 24 घंटे में 30 से 35 किलोमीटर चलाया जाता था. 2 दिन लगातार 1-1 रोटी खाने के लिए देने के बाद 1 दिन फिर भूखा रखा गया, प्यास लगने पर वह हमें हमारे मुंडा (जूतों) में पानी पिलाते थे इसलिए हम पानी भी बहुत कम पीते थे."
बेरहमी से पिटाई:चंगुल से छूटेगुड्डा ने बताया कि, "हमें इतनी ज्यादा बेरहमी से मारा पीटा जाता था कि, कोई जानवरों को भी इस तरह से नहीं मारता पीटता होगा. पैर, हाथ और पीठ, कमर में हरे पेड़ों की लकड़ियों से क्रूरता पूर्वक वह लोग मारते थे, कुत्ते, बिल्ली तो अच्छे रहते हैं उन्होंने हमारे साथ बद से बदतर सलूक किया. पल पल ऐसा लगता था कि, अब हम जिंदा नहीं बचेंगे, वह कभी भी बंदूक तानकर हमें मारने के लिए भी खड़े हो जाते थे. भूख के मारे पेट में चूहे कूदते थे लेकिन, बदमाशों के डर से हम भूखे होते हुए भी रोजाना 30 से 35 किलोमीटर दूर तक शरीर की पूरी ताकत लगाकर भागते हुए चलते थे."