श्योपुर। जिले में कोरोनावायरस की दस्तक के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने कलेक्ट्रेट से लेकर विकासखंड स्तर पर जनसुनवाई बंद कर दी थी, जो अभी तक शुरू नहीं की जा सकी है. इस वजह से जिले भर में समस्याओं का अंबार तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है और लोग अपनी समस्याओं को लेकर अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काटते दिखाई दे रहे हैं.
मंगलवार को भी अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर दूर-दराज के गांव से लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे, लेकिन किसी भी अफसर ने किसी की भी कोई फरियाद नहीं सुनी. इस वजह से परेशान लोगों को अफसरों को समस्या बताएं बगैर वापस लौटना पड़ा.
कलेक्ट्रेट पहुंचे लोगों ने अपनी समस्याएं बताते हुए कहा कि पिछले कई महीनों से जन सुनवाई नहीं हो रही है. वे अपनी समस्याएं लेकर हर मंगलवार को कलेक्ट्रेट पर आते हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी उनकी समस्या सुनना तो दूर उनके आवेदन को भी नहीं लेता, जिससे उन्हें किराया खर्च करके अपने घर वापस लौटना पड़ता है.
भैरू खेड़ली निवासी सोनू जाटव ने बताय कि उनकी पत्नी की डिलीवरी 6 महीने पहले हुई थी लेकिन उन्हें मातृत्व सहायता राशि अब तक नहीं मिल सकी है. उनकी मानें तो वह सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा-लगा कर थक चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है.
सोनू के अलावा 24 से ज्यादा लोग अलग-अलग समस्याओं को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे, लेकिन किसी की भी सुनवाई नहीं हुई, जिससे हर बार की तरह इस बार भी उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा.
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राधेश्याम बेरवा का कहना है कि आवास की सूची में नाम होने के बाद भी उन्हें आवास नहीं मिल रहा है, जिसे लेकर चार महीने से कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहा हूं, लेकिन जनसुनवाई बंद होने की वजह से कोई अधिकारी हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं रामदेई बाई का कहना है कि न तो रहने के लिए घर है और न ही बीपीएल के राशन कार्ड की अब तक पर्ची निकली है, जिससे उन्हें जीवनयापन करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.