श्योपुर। पीएम मोदी ने देश को 70 साल बाद आज बड़ा गिफ्ट दिया है. देश में आज से चीतों की वापसी हो गई है. आज सुबह 2 हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश में कूनो नेशनल पार्क के पास पालपुर पहुंचे में विदेश से आए मेहमान उतरे. देश में विलुप्त घोषित होने के सात दशक बाद भारत में फिर से चीता, विशेष इंट्रोडक्शन प्लान के तहत एक विशेष विमान में नामीबिया से ग्वालियर पहुंचे थे. इसके बाद इन्हे कूनो नेशनल पार्क लाया गया. 10 घंटे की यात्रा के बाद चीतों को लेकर ग्वालियर के महाराजा एयरबेस से सिंधिया अपने साथ चिनूक हेलीकॉप्टर में लेकर पहुंचे.
नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास अतीत को सुधारने का मिला मौका: इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "मानवता के सामने ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब समय का चक्र हमें अतीत को सुधारकर नए भविष्य के निर्माण का मौका देता है. आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है. दशकों पहले जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है. आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं, मैं ये भी कहूँगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृति प्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है."
पीएम ने नामीबिया से लाए गए चीतों को विशेष बाड़े में छोड़ा नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास:पीएम ने आगे कहा कि, मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहाँ की सरकार का भी धन्यवाद करता हूँ जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं. मुझे विश्वास है कि ये चीतें ना केवल प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का बोध कराएंगे बल्कि हमारे मानवीय मूल्यों और परंपराओं से भी अवगत कराएंगे. ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ. आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है."
कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए चीते छोड़े गए विफल नहीं होने देना प्रयास:मोदी ने कहा कि, "कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहाँ का ग्रासलैंड इकोसिस्टम फिर से बहाल होगा, जैव विविधता और बढ़ेगी. आने वाले दिनों में यहां पर्यावरण पर्यटन भी बढ़ेगा, यहां विकास की नई संभावनाएं जन्म लेंगी. कूनो नेशनल पार्क में इन चीतों को देखने के लिए लोगों को धैर्य दिखाना होगा और कुछ महीनों तक इंतजार करना होगा. आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, कूनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने में सक्षम होने के लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा. अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है, हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है. आज 21वीं सदी का भारत, पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकीय कोई विरोधाभाषी क्षेत्र नहीं है. पर्यावरण की रक्षा के साथ ही देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है."
पीएम ने लिवर दबाकर बाड़े में प्रवेश कराया, फोटोग्राफी की: KNP में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर देश को इन्हे सौंपा और खुद फोटोग्राफी भी की. नामीबिया से ग्वालियर तक की यात्रा के दौरान, चीते बिना भोजन के आए. बाड़ों में छोड़े जाने के बाद उन्हें खाना दिया जाएगा. पार्क में एक मंच से विशेष पिंजरे से पीएम मोदी ने लिवर दबाकर इन्हे छोड़ा और एक बाड़े में प्रवेश कराया. पीएम ने 2 चीतों को एक-एक कर प्रवेश कराए. उसके बाद, अन्य गणमान्य व्यक्ति शेष चीतों को अन्य बाड़ों में छोड़ देंगे.
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कैसे आए चीते: चीतों को टेरा एविया की एक विशेष उड़ान में लाया गया, जो यूरोप में चिसीनाउ, मोल्दोवा में स्थित एक एयरलाइन है जो चार्टर्ड यात्री और कार्गो उड़ानें संचालित करती है. यह पार्क विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के उत्तरी किनारे पर स्थित है और 344 वर्ग किमी में फैला हुआ है. अधिकारियों ने कुनो में अपने नए घर में बड़ी बिल्लियों को रिहा करने के मोदी के कार्यक्रम की तैयारियों को पूरा करने के लिए भारी बारिश, खराब मौसम और कुछ अवरुद्ध सड़कों का सामना किया. मोदी के आगमन से दो दिन पहले मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भारी बारिश हुई.