श्योपुर।पीएम मोदी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया, लेकिन दशकों तक उन्हें भारत में फिर से लाने के लिए कोई रचनात्मक प्रयास नहीं किया गया. अब नई ताकत और जोश के साथ देश ने इस दौरान चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करने की परियोजना शुरू की गई है. 2009 में यूपीए सरकार द्वारा परिकल्पित चीता परिचय परियोजना को शुरू करने के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने भारत में चीतों को फिर से शुरू करने के कार्यक्रम में मदद के लिए नामीबिया को भी धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि हमारे मित्र राष्ट्र नामीबिया और वहां की सरकार ने दशकों बाद भारतीय धरती पर चीतों को फिर से लाने में हमारी मदद की है. उन्होंने कहा कि 1947 में भारत में केवल तीन चीतों को जंगल में छोड़ दिया गया था, जिनका दुर्भाग्य से शिकार किया गया था. अंतिम चीता की मृत्यु 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में हुई थी.
2009 में बनी थी चीता लाने की योजना :पीएम मोदी ने कहा कि 2009 में 'अफ्रीकी चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया' की कल्पना की गई थी. पिछले साल नवंबर तक केएनपी में चीतों को पेश करने की योजना को COVID-19 महामारी के कारण झटका लगा था. चीता हमारे मेहमान हैं. कूनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने के लिए उन्हें कुछ महीने देना चाहिए. उन्होंने लोगों से कहा कि हमें केएनपी में चीतों को अपना क्षेत्र बनाने के लिए कुछ समय देना चाहिए. मोदी ने कहा कि यह सही है कि जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है, तो हमारा भविष्य सुरक्षित हो जाता है.