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Cheetah Death Cause: दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ ने बताया- ये है कूनो में चीतों की मौत का कारण - रेडियो कॉलर से फैला संक्रमण

मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की लगातार हो रही मौतों का कारण सामने आ गया है. दरअसल, रेडियो कॉलर के कारण सेप्टीसीमिया से कूनो में दो नर चीतों की मौत हुई है. इसका खुलासा दक्षिण अफ्रीका के चीता विशेषज्ञ ने किया है. कूनो में औसत से ज्यादा दोगुनी बारिश होने के कारण चीतों में संक्रमण फैला है. चीतों के गले में लगे रेडियो कॉलर से बैक्टीरिया उत्पन्न हो रहा है. (Cheetah Death Cause)

Cause Cheetah Death Kuno
चीतों के गले में लगे रेडियो कॉलर से बैक्टीरिया

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Published : Jul 15, 2023, 7:45 PM IST

श्योपुर(Agency, PTI)।कूनो नेशनल पार्क में एक सप्ताह के भीतर दो नर चीतों की मौत हो गई. इस बारे में चीता विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य प्रदेश में सेप्टीसीमिया बैक्टीरिया द्वारा रक्त विषाक्तता चीतों की मौत हो रही है. दरअसल, गीली परिस्थितियों में उनकी गर्दन के चारों ओर पहने जाने वाले रेडियो कॉलर के कारण बैक्टीरिया पनप रहा है. चीता विशेषज्ञों का कहना है "अत्यधिक गीली स्थितियों के कारण रेडियो कॉलर संक्रमण पैदा कर रहे हैं. दोनों चीतों की मौत सेप्टिसीमिया से हुई है." बता दें कि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीता सूरज की शुक्रवार को मृत्यु हो गई. जबकि एक अन्य स्थानांतरित नर चीता तेजस की इससे दो दिन पहले मौत हुई. इस प्रकार चार महीने से भी कम समय में तीन शावकों सहित मरने वाले चीतों की संख्या 8 हो गई है. इन मौतों ने चीता प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े कर दिए हैं. "(Cheetah Death Cause)

आपसी लड़ाई से मौत नहीं :दक्षिण अफ़्रीकी चीता मेटापॉपुलेशन विशेषज्ञ विंसेंट वान डेर मेरवे ने मंगोलिया ने बताया "चीता को अन्य जानवरों द्वारा दिए गए घाव नहीं थे. वे डर्मेटाइटिस और मायियासिस के बाद सेप्टीसीमिया के मामले हैं." मेरवे ने कहा कि वह चीता का प्रबंधन करते हैं. भारत में चीता परियोजना के भाग्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा "हमारे पास अभी भी 75 प्रतिशत चीते भारत में जीवित और स्वस्थ हैं. इसलिए सब कुछ अभी भी ट्रैक पर है और जंगली चीता के पुनरुत्पादन के लिए सामान्य मापदंडों के भीतर मृत्यु दर देखी गई है".

रेडियो कॉलर से फैला संक्रमण :बता दें कि जब बीते मंगलवार को चीता तेजस की मौत हो गई तो राज्य वन विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि उन्हें संदेह है कि यह जानवरों के बीच आपसी लड़ाई का नतीजा है. उन्होंने बताया था कि चीते के गले के आसपास घाव पाए गए. शुक्रवार को मरे चीता सूरज की गर्दन और पीठ पर घाव थे और मक्खियां और कीड़े आसपास मंडरा रहे थे. बता दें कि स्थानांतरित चीतों की गर्दन के चारों ओर रेडियो कॉलर लगाए गए हैं.

वन अधिकारियों के विरोधाभासी बयान :वहीं, केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दोनों चीतों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी है, लेकिन विस्तार से बताने से इनकार कर दिया. एक अन्य वन अधिकारी का कहना है कि उन्हें संदेह है कि दोनों चीतों की मौत किसी संक्रमण के कारण हुई है. उन्होंने कहा, "लेकिन इससे पहले कि हम कार्रवाई कर पाते, संक्रमण फैल रहा था और अपनी चपेट में ले रहा था. यह बहुत तेजी से फैलता है." वहीं, प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने कहा कि सूरज चीते की मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलेगा. जब उनसे मौत के बारे में पूछा गया तो बताया कि जो तीन शावक मरे हैं, वे जन्म से ही कुपोषित थे. जबकि अन्य की मौत हुई थी वह मेटिंग या खाने के दौरान झगड़े के कारण हुई.

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मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं :मौत के लिए कुप्रबंधन के किसी भी आरोप को खारिज करते हुए वन मंत्री विजय शाह ने कहा कि भारत, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया में सरकारें चीतों के प्रबंधन में शामिल थीं और सब कुछ उनके निर्देशों के अनुसार किया जा रहा था. इसलिए, यह कहना उचित नहीं है कि ये मौतें लापरवाही के कारण हुईं. पीएमओ हर चीज पर कड़ी नजर रख रहा है. सब कुछ पीएमओ के निर्देश पर किया जा रहा है. हमारी तरफ से कोई लापरवाही नहीं है. वहीं, भारत मौसम विज्ञान विभाग के भोपाल केंद्र के ड्यूटी अधिकारी एसएन साहू ने कहा कि श्योपुर जिले जहां केएनपी स्थित है, में 1 जून से 15 जुलाई के बीच 321.9 मिमी बारिश हुई है, जबकि इस अवधि के लिए सामान्य बारिश 161.3 मिमी थी. श्योपुर 8 से 14 जुलाई तक 185 मिमी प्राप्त हुआ, जिस अवधि के दौरान दो चीतों की मृत्यु हो गई.

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