श्योपुर। जिले से कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए आदिवासी परिवारों की महिलाओं के बैंक खातों में हर महीने एक हजार रुपए की राशि डाले जाने के लिए शुरू की गई योजना कागजों में तो संचालित है, लेकिन बजट नहीं होने की वजह से बीते चार महीने से जिले की आदिवासी महिलाओं के खाते में यह राशि नहीं डाली जा सकी है. ऐसी हालत में यह महिलाएं अपनी बच्चों का भरण-पोषण ठीक से नहीं कर पा रही हैं. इससे कुपोषण का ग्राफ कम होने की बजाय और बढ़ रहा है.
आखिर कब मिटेगा श्योपुर से कुपोषण का कलंक ...... - कुपोषण न्यूज
श्योपुर जिले से कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए आदिवासी परिवारों की महिलाओं के बैंक खातों में हर महीने मिलने वाली एक हजार रुपए की राशि अब सरकार ने बंद कर दी है. आदिवासी परिवारों को पिछले 6 महीने से राशि नहीं दी जा रही है. वहीं प्रशासन का कहना है कि वित्तीय समस्याओं के चलते राशि वितरित नहीं की गई है.
आंगनबाड़ी केंद्रों के अलावा बच्चों को घर पर अच्छा पोषण आहार मिले, इसके लिए प्रदेश की पूर्व शिवराज सरकार ने यह योजना शुरू की थी. इसके बाद आदिम जाति कल्याण विभाग के माध्यम से यह राशि हर महीना इन आदिवासी परिवारों की महिलाओं के खातों में भेजी जाती थी, लेकिन अब बजट में कमी की वजह से बीते चार महीने से इस योजना का लाभ जिले की आदिवासी परिवारों को नहीं मिल पा रहा है. इससे वह परिवार परेशान हैं और प्रदेश की कमलनाथ सरकार को कोस रहे हैं.
इस बारे में आदिवासी महिलाओं का कहना है कि कांग्रेस की सरकार ने उनका पैसा बंद कर दिया है, जबकि जिले की आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रभारी सहायक आयुक्त संयुक्त कलेक्टर सुनील नायर का कहना है कि बजट नहीं होने की वजह से उनके खातों में राशि नहीं डाली जा सकी है. जल्द ही बजट आ जाएगा और राशि डाल दी जाएगी. अब देखना ये होगा कि आखिर कब तक कुपोषण का दंश झेल रहे श्योपुर के आदिवासी परिवारों तक मदद पहुंचती है.