श्योपुर।कहते हैं कि वक्त के साथ-साथ तस्वीर भी बदल जाती है. ऐसा ही कुछ चंबल संभाग के श्योपुर में देखने को मिला है. जहां पर डकैतों की डर की वजह से बेटियां घर से बाहर नहीं निकल पाती थी. लेकिन अब सबसे अधिक सरहद पर चंबल की बेटियां खड़ी हैं. अपने दुश्मनों को धूल चटाने में कोई कोर और कसर नहीं छोड़ती हैं. इतना ही नहीं देश और प्रदेश में महिलाओं के साथ बढ़ रहे अपराधों को लेकर भी बेटियां आरोपियों को सबक सिखाने के लिए जूडो कराटे के गुण सीख रही हैं.
आत्मरक्षा के गुर सीख रही छात्राएं चैंपियन छात्राएं सिखा रही जूडो
बता दें कि शहर के पीजी कॉलेज में अध्ययनरत जूडो कराटे की चैंपियन छात्राएं अन्य छात्राओं को जूडो कराटे और आत्मरक्षा के गुर सिखाने में लगी हैं. जिससे बेटियां अपने आप को किसी के सामने लाचार महसूस ना करें और इसलिए वह निरंतर मेहनत भी कर रही हैं. छात्राओं द्वारा सेल्फ डिफेंस के गुरु सिखाए जा रहे हैं. जिससे वह खुद को तो बचा ही सकती हैं. लेकिन वह अटैक भी दूसरों पर कर सकती हैं.
क्या कहती हैं ट्रेनर रंजना
ट्रेनर रंजना राजोरिया का कहना है कि आए दिन महिलाओं और छात्राओं के साथ बढ़ रही दरिंदगी की घटना को लेकर हमारे द्वारा निरंतर शहर की छात्राओं को जूडो कराटे के गुर सिखाए जा रहे हैं. हमारे द्वारा शहर के बायपास पर स्थित भगत सिंह पार्क में सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक 2 घंटे के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. जिसमें कई आवश्यक गुरु भी सिखाए जा रहे हैं. जिससे वह खुद का तो बचाव कर सकती हैं लेकिन उनके आसपास में भी किसी महिला के साथ अगर कोई घटना घटित होती है तो वह उसका भी बचाव बड़ी ही आसानी के साथ कर सकेंगे.
उज्जैन: लड़कियां सीख रही आत्मरक्षा के गुर, 'अलख उज्जैनी' संस्था दे रही ट्रेनिंग
तो वहीं छात्रा निरुपमा राठौर का कहना है कि कुछ समय पहले हमारे चंबल संभाग में बेटियां डकैतों की खौफ की वजह से घरों से बाहर नहीं निकल पाती थी. छात्रा ने कहा कि उनके दादा मान सिंह भी डकैत रहा करते थे. लेकिन अब बेटियां किसी से कम नहीं है और निरुपमा ने बताया कि वह प्रदेश स्तरीय मुख्यमंत्री प्रतियोगिता खेल चुकी हूं. इसके अलावा डेजी गोयल का कहना है कि आए दिन महिलाओं के साथ इस तरीके की घटना घटित हो रही है. जिस वजह से हम लगातार जूडो कराटे सीख रहे हैं. ताकि खतरा आने पर खुद की सुरक्षा कर सकें.