श्योपुर।कुपोषण के मामले में दुनिया भर में बदनाम श्योपुर जिले के माथे से कुपोषण का कलंक बरकार है. यही वजह है कि लाख प्रयास करने के बाद भी श्योपुर जिले में अनगिनत कुपोषित और अति कुपोषित बच्चे जिंदगी से लड़ाई लड़ रहे हैं. पिछले दो महीने पहले भी कराहल के सेसई पुरा सेक्टर में 2 कुपोषित बच्चों की मौत हुई थी. उससे पहले भी न जाने कितने मासूम मौत के काल में समा चुकें है. बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी कुपोषण को जमीनी स्तर से मिटाने की बजाए कागजी आंकड़े बाजी करके मिटाने में जुटे हुए हैं.
अभी भी कुपोषण का दंश झेल रहा है एमपी
कुपोषित बच्चों की अगर बात की जाए तो जिले की ऐसी कोई आदिवासी समाज की बस्ती अछूती नहीं होगी. जहां कुपोषित बच्चे ना हो. बडौदा, मानपुर, ढोढर सबसे ज्यादा कराहल और आगरा में स्थिति दयनीय है. इन इलाकों के गांव में अधिकांश परिवार कुपोषण से ग्रसित अपने बच्चों को लेकर परेशान हैं. कई गंभीर कुपोषित बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्हें सांस तक लेने में तकलीफ होती है. फिर भी जिम्मेदार उन्हें एनआरसी में भर्ती करके जरूरी पोषण आहार और सुविधाएं देने के नाम पर कागजी खानापूर्ति करने में जुटे हुए हैं. इससे स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है. कमिश्नर आरके मिश्रा का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा योजनाएं चलाई जा रही हैं. सभी गरीब परिवारों के लिए राशन पर्ची बनवाई जा रही है. इसके लिए हमारी पटवारियों की टीम कार्य कर रही हैं. जहां तक कुपोषण की बात है तो ऐसा कोई मामला नहीं है. बच्चों के वजन की बात है तो उसके लिए भी हमारे पास व्यवस्था हैं.
यह है पीड़ित परिवार की समस्या