शाजापुर।मध्यप्रदेश की शुजालपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस अपनी खोई सियासी जमीन पाने के लिए पिछले 20 सालों से संघर्ष कर रही है. इस सीट पर कांग्रेस लगातार चार विधानसभा चुनावों से हारती आ रही है. हालांकि सियासी नतीजे बदलने कांग्रेस ने कई चेहरे बदले, लेकिन सफलता हाथ न लगी. हालांकि 1998 तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन 2003 से बीजेपी यहां की सियासी तस्वीर बदलने में कामयाब रही है. हालांकि लगातार बीजेपी के विधायक के बाद भी ग्रामीण इलाकों में सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे बुनियादी मुद्दे चुनाव में बीजेपी को परेशान कर सकते हैं.
पिछले 20 सालों से कांग्रेस को जीत का इंतजार: शुजालपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी का खास प्रभाव है. इस सीट से पिछला चुनाव बीजेपी के इंदरसिंह परमार जीते और बीजेपी की शिवराज सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग संभाला. 2018 के विधानसभा चुनाव में संघ की पृष्ठभूमि वाले इंदरसिंह परमार ने कांग्रेस के रामवीर सिंह सिकरवार को 5 हजार 623 वोटों से हराया था. हालांकि कांग्रेस की हार का यह सिलसिला 2003 से लगातार चल रहा है. 1998 में कांग्रेस के केदार सिंह मंडलोई इस सीट पर आखिरी बार पार्टी को जीत दिला सके थे, हालांकि वे 2003 में भी मैदान में उतरे, लेकिन जीत का सिलसिला जारी नहीं रख सके.
कांग्रेस-बीजेपी से कई दावेदार: इस बार कांग्रेस की तरफ से कई नेता दावेदारी कर रहे हैं, इसमें महेन्द्र जोशी भी हैं. जो दो बार यहां से चुनाव हार चुके हैं. इनके अलावा दावेदारों में रामवीर सिकरवार, योगेन्द्र बंटी बना भी हैं. 2013 में योगेन्द्र बंटी टिकट न मिलने पर बगाबत कर चुके हैं. उनके निर्दलीय मैदान में उतरने से 2013 में कांग्रेस हार गई थी. 2013 में जीत-हार का अंतर 8656 वोटों का था, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार ने 32 हजार वोट काटे थे. हालांकि कांग्रेस इस बार टिकट के पहले ही सभी को मनाने में जुटी है. उधर बीजेपी की तरफ से इंदर सिंह परमार का मैदान में उतरना तय माना जा रहा है.