शाजापुर।आदित्यनगर में रहने वाले भदौरिया दंपति के हाथों से भोजन करने पिछले 9 सालों से पूर्वज आ रहे हैं. दरअसल हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान कौओं को भोजन कराने का महत्व है, शास्र उपनिषण कहते हैं कि पितृपक्ष में पूर्वज कौए के रूप में अपने घर आकर भोजन करते हैं, भदौरिया दंपति भी कौऐ को अपना पूर्वज मानते हुए पिछले 9 सालों से अपने हाथों से उन्हें भोजन करा रहे हैं. खास बात यह है कि इस बार भी श्राद्धपक्ष में कौए इनके घर पहुंचे और इनके हाथों से भोजन किया. आसपास के रहवासी भी कौओं के इस तरह भदौरिया दंपति के हाथ से भोजन करते हुए देख अचंभित होते हैं.
शासकीय शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त हुए मदन सिंह भदौरिया अपनी पत्नी मंजूला भदौरिया के साथ शहर के आदित्य नगर की गली नंबर तीन में रहते हैं. मंजूला भदौरिया ने बताया कि करीब 8-9 साल पहले एक दिन अचानक भदौरिया के घर के बाहर कौए की आवाज आने लगी. इस आवाज को सुनकर मदन सिंह और उनकी पत्नी मंजूला घर के बाहर निकले. उन्होंने देखा कि घर के बाहर की दीवार पर कौआ बैठा हुआ है. इस पर मंजूला ने कौए को दूध-रोटी खाने के लिए लाकर रख दी. कुछ ही देर में कौए ने दूध रोटी खाना शुरू कर दिया. इसके बाद वो उड़ गया, लेकिन फिर वो लगातार यहां पर आने लगा.
रोजाना आते हैं कौए
अब कौए को दूध, रोटी और बेसन से बनी चीजें खिलाना भदौरिया दंपति के लिए रोजाना की बात हो गई है. इसी बीच एक दिन मदन सिंह भदौरिया की पत्नी मंजूला ने कौए को अपने हाथ से भोजन कराने का विचार किया. जब मंजूला ने अपने हाथ में दूध रोटी रखकर कौए को खिलाने की कोशिश की तो कौओ ने बिना डरे दूध रोटी खाना शुरू कर दिया.