शहडोल। मुनगा को सहजन के नाम से भी जाना जाता है. इसे अंग्रेजी में मोरिंगा या ड्रमस्टिक-ट्री (drumstick-tree) भी कहते हैं. विज्ञान में इस पेड़ के हर पार्ट को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक (Benefit of munga) बताया गया है. शहडोल संभाग में भी ग्रामीण क्षेत्रों में मुनगा को लेकर पिछले कुछ सालों में काफी अवेयरनेस देखी गई है. अब तो ग्रामीण अंचलों में लोग मुनगा की पत्तियों को भी सहेजने लग गए हैं, और उससे अच्छे खासे पैसे भी कमा रहे हैं.
शहडोल में लोगों में बढ़ा मुनगा की खेती करने का क्रेज. मुनगा से कमाया जा सकता है अच्छा-खासा पैसा
इसके अलावा मुनगा के फूलों को भी काफी पौष्टिक माना गया है. साथ ही इसके फल की सब्जियां खाने का प्रचलन यहां पहले से ही है. कुल मिलाकर मुनगा के पेड़ के हर हिस्से को बेचकर अच्छा खासा पैसा तो कमाया ही जा सकता है, साथ ही पोषण के लिए भी यह प्रकृति के किसी बड़े उपहार से कम नहीं है. आयुर्वेद में इसके बहुत ज्यादा महत्व (properties of munga tree) बताए गए हैं, और संभाग में इन दिनों व्यापारी इसकी पत्तियों को अच्छे दामों में खरीद रहे हैं.
मुनगा की खेती में बढ़ा रुझान
इन दिनों शहडोल संभाग में किसानों के बीच में मुनगा की खेती को लेकर अच्छा खासा प्रचलन देखा जा रहा है. जिन किसानों के पास ऐसी जमीन बची हुई थी, जहां वो कुछ नहीं कर रहे थे. इन दिनों वहां मुनगा की खेती की ओर उनका रुझान देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं खेतों की मेड़ हो या उनके घर में कहीं भी स्पेस बचा हो वहां, वो मुनगा लगा रहे हैं. मुनगा की पत्तियों को अच्छे दामों में बेचकर पैसे तो कमा ही रहे हैं, साथ ही इसे अपने खानपान में भी शामिल कर रहे हैं.
मुनगा के पत्तियों की बढ़ी डिमांड
एक फार्मा प्रोड्यूसर कम्पनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल जो कि संभाग में पिछले कुछ सालों से मुनगा की पत्तियों को लेकर काम कर रहे हैं, किसानों को पहले तो इसके लिए ट्रेंड कर रहे हैं और फिर उनसे मुनगा की पत्तियां खरीद रहे हैं. फिर उसका पाउडर बनाकर बेचते हैं. वह बताते हैं कि शहडोल संभाग में वैसे तो पहले से ही मुनगा के पेड़ काफी ज्यादा मात्रा में उपलब्ध थे, और पिछले 3 साल से हम लोग उस क्षेत्र में काफी काम भी कर रहे हैं. हम मुनगा के पेड़ का प्लांटेशन भी करा रहे हैं. इसके साथ ही मुनगा की पत्ती किसानों को प्रशिक्षण देकर उनसे कलेक्ट कर रहे हैं. किसानों से 70 रुपये प्रति किलो की दर से मुनगा की पत्ती खरीदी जा रही हैं.
2020-21 में मुनगा की 60 टन पत्ती मिलीं
प्रदीप सिंह बघेल बताते हैं कि पहले मुनगा की पत्ती खरीदने का प्रचलन क्षेत्र में नहीं था. फल जरूर कुछ जगह पर खरीदे जाते थे, लेकिन जब हमने इसकी शुरुआत की और साल 2018-19 में हमको संभाग से करीब 1 टन पत्ती किसानों से मिली, इसके बाद ये आंकड़ा बढ़ता गया. अगले साल पांच टन के करीब पत्ती मिली, और फिर 2020-21 की बात करें तो करीब 60 टन मुनगा पत्ती मिलीं.
मुनगा पत्ती बेचने का प्रचलन बढ़ा
केशव कोल बताते हैं कि पहले मुनगा को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में चार-पांच साल से मुनगा की खेती में किसान अब काफी रूचि ले रहे हैं. मुनगा पहले भी ग्रामीण अंचलों में होता था, लेकिन लोग तब व्यावहारिक तौर पर इसका इस्तेमाल करते थे. आदिवासी बहुल इलाके में लोग इसकी भाजी खाते हैं, इसकी पत्तियों के फूल को अच्छे तरीके से बना कर बड़े चाव के साथ खाते हैं. इसके अलावा फल की सब्जियां बनाकर खाते हैं. जब इसकी उपयोगिता लोगों को समझ आई तो लोग इससे अब पैसा कमाने लगे हैं.
मुनगा की खेती में मिलती है सब्सिडी
कृषि उद्यान विस्तार अधिकारी विक्रम कलमें बताते हैं कि मुनगा की खेती करने पर किसानों के लिए सरकारी योजना फल पौधा अनुदान योजना भी है. इसमें 40% तक किसानों को अनुदान मिलता है. पौधों के लिए हम नर्सरी में ही मुनगा के पौधे लगवा लेते हैं और उच्च गुणवत्ता क्वालिटी वाले पौधे हम किसानों को देते हैं. इसके अलावा मनरेगा में भी किसानों से वृक्षारोपण मुनगा के पेड़ के तौर पर कराया जा रहा है. मुनगा की खेती के लिए 40% तक अनुदान है. 3 साल में इसे दिया जाता है. पहले साल इसमें 60 प्रतिशत देना रहता है. दूसरे साल 20 पर्सेंट और तीसरे साल 20 परसेंट.
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सेहत के लिए चमत्कारी है मुनगा का सेवन
मुनगा को लेकर आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि ये आयुर्वेद की शुद्ध औषधि है. इसके पेड़ का पंचांग, पत्तियां, फल, छाल, जड़, फूल सारी औषधीय महत्व है. आयुर्वेद में मुनगा की काफी डिमांड है. मुनगे की पत्तियों के पाउडर का टेबलेट मार्केट में अवेलेबल भी है, जोकि माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का एक बहुत अच्छा सोर्स है. हमारे क्षेत्र में इसके पत्तियों की भाजी बनाने का बड़ा प्रचलन है. यह कुपोषण जन व्याधि के लिए तो परम औषधि है ही इसमें काफी सारे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं