शहडोल। कलचुरि कालीन विराट शिव मंदिर (shiv temple of kalchuri era in shahdol) अपने आप में ही अनूठा है. कलचुरि कालीन इस विराट शिव मंदिर को देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे. शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का लाभ एक साथ ही मिल जाता है. इतना ही नहीं यह शिव मंदिर पुरातात्विक धरोहर है. यह मंदिर आखिर इतना खास क्यों है. जानिए इस खास रिपोर्ट में.
मंदिर में स्थापित शिवलिंग यहां स्थित है विराट शिव मंदिर
पुरातात्विक धरोहर विराट शिव मंदिर अद्भुत है. यह मंदिर (shiv temple of kalchuri era location in shahdol) अपने आप में ही अनूठा है या यूं कहें कि जिले की पहचान है. जिला मुख्यालय में स्थित यह विराट मंदिर मुख्य मार्ग से लगा हुआ है. जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. यह मंदिर अपनी भव्यता, सुंदरता और पुरातात्विक महत्व के चलते दूर से ही लोगों को अपनी और आकर्षित करता है.
कलचुरि कालीन है ये शिव मंदिर
पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि शहडोल संभाग का या कहिए विंध्य क्षेत्र का यह अति विशिष्ट शिव मंदिर है. यह विराटेश्वर शिव मंदिर (virateshwar shiv mandir shahdol) के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण कलचुरी नरेश युवराज देव प्रथम ने 10वीं-11वीं सदी में कराया गया था.जहां बहुत छोटी सी शिवलिंग स्थापित है. रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि ये पूर्वाभिमुख मंदिर शिव को समर्पित है. इसके गर्भ गृह में शिवलिंग जलहरी प्रतिस्थापित है. इसके गर्भ गृह में जो द्वार शाखाएं हैं, वह देवी-देवता युक्त हैं.
विराटेश्व शिव मंदिर शहडोल इसके मध्य में नटेश, शिव बाईं, गणेश दाईं और सरस्वती का अंकन है. इन्हें देखने वाले देखते ही भाव विभोर हो जाते हैं. इसके अलावा देवी देवताओं की भी अंदर अन्य प्रतिमाएं रखी हैं. मंदिर के बाह्य भाग या जंघा भाग में जो प्रतिमाएं हैं, वह तीन क्रम पर हैं. इसमें शिव के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाएं लगी हैं. इसके अलावा उनके परिवार की भी प्रतिमाएं हैं, जिनमें गणेश, कार्तिकेय, गौरी, उमा माहेश्वर, गौरी शंकर आदि हैं.
विराटेश्वर शिव मंदिर की अद्भुत दिवारें खजुराहो की यादें हो जाती हैं ताजा
इस मंदिर में ब्रह्मा-विष्णु-महेश त्रिदेव का भी अंकन है. इसमें देवी गौरी के या नवदुर्गाओं के भी कुछ स्वरूपों को अंकित किया गया है. मंदिर में अलग-अलग तरह की अप्सराओं का भी शिल्पन किया गया है. पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार कहते हैं कि मंदिर की बनावट ऐसी हैं कि खजुराहो की यादें ताजा हो जाएंगी. उन्होंने बताया कि खजुराहो में चंदेल शासकों ने खजुराहो के मंदिर बनवाए थे. महाकौशल या विंध्य क्षेत्र में कलिचुरी नरेशों ने ये मंदिर बनवाए थे. इनका निर्माण 9 वीं सदी से लेकर 12 वीं सदी के बीच किया गया है.
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पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार ने बताया कि विराट मंदिर में स्थित ये शिवलिंग अति विशिष्ट है. शिवलिंग ब्रह्मांड स्वरूप में है. जिस स्वरुप में ब्रह्मांड था या अभी भी है, जिसमें विभिन्न प्रकार के ग्रहों सौर मंडलों निहारिकाओं प्रतिरूपण हुआ है, जो पूरे ब्रह्मांड में छाई हुई हैं. इसी एक शिव हिरण्यगर्भ स्वरूप का जो शिवलिंग है, यह इसका प्रतीक है. यह जो पूरे ब्रह्मांड का एक प्रतीक स्वरूप में शिवलिंग यहां पर अंकित है.