शहडोल। जिले का पंडित शंभूनाथ शुक्ल यूनिवर्सिटी का नया परिसर अब सोलर ऊर्जा की बिजली से रोशन हो रहा है, या यूं कहें कि सोलर एनर्जी से जगमगा रहा है. विश्वविद्यालय के नए परिसर में सोलर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन शुरू हो चुका है. यूनिवर्सिटी के इस नए परिसर में बिजली की खपत की पूर्ति भी वहीं से की जा रही है. जिससे इस यूनिवर्सिटी के नए परिसर में बिजली का खर्च भी अब कम हो जाएगा.
सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन शुरू
पंडित शंभूनाथ शुक्ल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. मुकेश कुमार तिवारी का कहना है कि यूनिवर्सिटी में स्थापित सोलर पैनल से उत्पादन शुरू हो चुका है. विश्वविद्यालय के नवीन परिसर में रैसको पद्धति से सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाया गया है और ये जो रैस्को पद्धति है, इसमें हमने कंपनी को केवल विश्वविद्यालय की छत उपलब्ध कराई है.
सौर ऊर्जा की बिजली से जगमगाया नया परिसर 25 साल का करार
कुलपति मुकेश कुमार तिवारी ने कहा कि सोलर ऊर्जा को लेकर कंपनी से 25 साल का हमने अनुबंध किया है. 25 साल तक हमको वो एक रुपये 90 पैसे प्रति यूनिट की दर से वो बिजली देंगे, जबकि अभी एमपीईबी से हमें करीब 7 से 8 रुपये प्रति यूनिट बिजली पड़ रही है और ये संपूर्ण प्रोजेक्ट पूर्ण हो चुका है. इसका उत्पादन भी लगभग 180 किलोवाट उत्पादन भी फरवरी माह से प्रारंभ हो चुका है.
नेट मीटर से होगा तय
कुलपति का कहना है कि यह जो सोलर ऊर्जा की बिजली का उत्पादन हो रहा है, आखिर हमारे इस परिसर में कितना बिजली की खपत हो रही है. इसका पता नेट मीटर से चलेगा. इसके लिए नेट मीटर लगा हुआ है, नेट मीटर से ये होता है कि सोलर पैनल से कितनी एनर्जी जनरेट हुई, और हमने कितना उपयोग किया और कितना ग्रिड में गया. बाद में उसका हिसाब होता है और उस हिसाब से यूनिवर्सिटी का पेमेंट बनता है. विश्वविद्यालय के पहले जो बिल आते थे उसमें 60 से 70 परसेंट राहत होने की उम्मीद है, इसका बिल आया नहीं है, क्योंकि फरवरी माह से इसके बिजली का उपयोग होना शुरू हुआ है. बिल आने के बाद और क्लियर हो जाएगा कि कितना कम बिजली का बिल हुआ है. वैसे अभी जो बिल आ रहा था उससे 60 से 70 प्रतिशत तक बिल कम आने की उम्मीद है.
25 साल तक कंपनी ही करेगी मेंटिनेंस
इसके बारे में जानकारी देते हुए कुलपति मुकेश कुमार तिवारी आगे बताते हैं की सोलर एनर्जी के लिए ये सम्पूर्ण काम जो किया है. यह अहमदाबाद की कंपनी मूंदड़ा सोलर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने किया है. वह 25 साल तक इसका मेंटिनेंस भी करेंगे. विश्विद्यालय इसमें कुछ नहीं करेगा. जो अभी कैंपस में बिल आता था, वह लगभग लाख सवा दो लाख के करीब आता था तो निश्चित रूप से सोलर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के बाद ये घटकर लगभग 70 से 80 हजार आएगा.