शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां पर दिवाली के त्यौहार में अलग-अलग तरह के रीति-रिवाज और परंपराएं देखने को मिलती हैं. इन्हीं में से एक है 'दिवाली डांस' जिसे लोकल भाषा में देवारी डांस भी कहा जाता है. इसमें दीपावली की रात से मवेशी चराने वाले लोग घर-घर जाते हैं और वहां दोहा डालते हुए आदिवासी नृत्य करते हैं. जिसे दिवाली नृत्य कहा जाता है. इस दौरान छाहूर भी रखा जाता है, जिसका बहुत महत्व होता है.
डांस के बदले मिलती है दक्षिणा
इस परंपरा को लेकर मान्यता है कि इससे घर की सभी बलाय खत्म हो जाती हैं. इसके बाद अच्छा वक्त शुरू हो जाता है. इसलिए भी लोग इस ग्रुप का इंतजार करते रहते हैं. चाहे फिर वह आधी रात को आएं या दूसरे दिन आए. फिर उन्हें उस नाच गाने के बदले दान दक्षिणा भी देते हैं. कोई कुछ पैसा देता है, कोई धान देता है, तो कोई चावल देता है. जिसके पास जो भी अन्न होता है वो देता है.