शहडोल। हमारा देश कई संस्कृतियों को मिलकर बना हुआ है. यहां हर पर्व में अलग-अलग रीति रिवाज, संस्कृति और परंपरा यहां देखने को मिलती है. ऐसा ही है मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल में बसा शहडोल जिला, जहां कई रीति रिवाज परंपराएं संस्कृति देखने को मिलती हैं. ऐसी एक परंपरा है सेमल के तीन पत्तों से निभाई जाने वाली परंपरा. जाने आखिर क्या वजह है कि सेमल के 3 पत्तों को दिवाली के दिन दरवाजों पर लगाया जाता है.
दिवाली में निभाई जाने वाली परंपरा क्या है परंपरा
इस परंपरा में गांव के चरवाहे अपने किसानों के घरों के दरवाजों और गौशाला में सेमल के तीन पत्ते लगाते हैं और अगर वह कभी भूल गए तो उन्हें बुलाकर लगवाया जाता है. जिसके बाद उन्हें सीदा ( खाने का कच्चा सामान दाल, चावल, सब्जी मसाले ) और रुपये दिए जाते हैं.
शुभ होता है सेमल का पत्ता
गांव के लोग उस प्रक्रिया को करवाने को बहुत शुभ मानते हैं और ऐसा माना जाता है कि सेमल के तीन पत्तों से दिवाली के मौके में ये परंपरा निभाने से साल भर घर में लक्ष्मी का वास होता है और घर में शुख शांति बनी रहती है. चरवाहा रद्दू ने बताया कि वे इस परंपरा को बचपन से निभाते आ रहे हैं.
सेमल के तीन पत्तों से निभाई जाने वाली परंपरा सेमल के तीन पत्तों का महत्व
इस परंपरा को लेकर पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि शास्त्रों में भी यह वर्णित है कि सेमल के तीन पत्ते लगा देने से उस घर में रोग व्याधि नहीं होती है. पशु सुरक्षित रहते हैं साथ में मानव जीवन भी सुरक्षित रहता है. उस घर में अलाय बलाय भूत टोना जादू यह सब प्रवेश नहीं होते हैं. घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.
क्या है मान्यता
सेमल के तीन पत्ते के महत्व को समझाते हुए पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि यह तीन शक्तियां होती हैं. ब्रह्मा-विष्णु-महेश इसी तरह सुबह दोपहर शाम तीन काल का भी प्रतीक है. 3 शक्तियां इकट्ठी दिवाली के रोज सेमल के पत्ते पर ही विराजमान होती हैं. इसलिए सेमल का पत्ता घरों के दरवाजों पर लगाना शुभ माना जाता है.