शहडोल। जिले में सैकड़ों साल पुराने बाणगंगा मेले की शुरुआत हो रही है, हर साल 14 जनवरी से इस मेले की शुरुआत होती है संभाग का सबसे बड़ा मेला माना जाता है और यहां के झूले भी आकर्षण के केंद्र होते हैं. एक ओर जहां आज के बदलते जमाने में बड़े-बड़े झूलों ने अपनी अलग पहचान बना ली है.
मेलों से विलुप्त हो रहा ये खास झूला, व्यापारी बोले- रहट झूला और गन्ना ही हैं मेले की पहचान - शहडोल न्यूज
शहडोल। जिले में सैकड़ों साल पुराने बाणगंगा मेले की शुरुआत हो रही है, हर साल 14 जनवरी से इस मेले की शुरुआत होती है. संभाग का सबसे बड़ा मेला माना जाता है.
लकड़ी के ये छोटे-छोटे झूले अपनी आवाज के लिए विशेष महत्व रखते हैं, इन्हें रहट झूले के नाम से जाना जाता है, पहले जब किसी भी मेले में जाते थे तो ये रहट झूले पूरे मेले में आकर्षण के केंद्र रहा करते थे. मेला छोटा हो या बड़ा ये रहट झूला छाया रहता था, लेकिन अब कुछ मेलों को छोड़ दें तो ये रहट झूला मेलों से गायब हो रहे हैं.
बाणगंगा मेले में रहट झूला लगा रहे एक व्यापारी बताते हैं कि पहले लोग यहां लगे बड़े बड़े झूलों में जाते हैं और फिर जब वहां जगह नहीं मिलती तो यहां आते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी आते हैं जो बस इसी झूले में ही झूलना पसंद करते हैं और कहते हैं कि रहट नहीं झूले तो क्या मेला देखा.