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सब्जी किसानों पर कोरोना की मार! कर्फ्यू में मंडी बंद होने से नहीं बिक रही फसल - एमपी में सब्जियों के रेट

गर्मी के सीजन में सब्जियों की खेती काफी महंगी होती है और तपती धूप में काम करना भी मुश्किल होता है. ऐसे में जब किसान फसल तैयार करें और वह सही समय पर सही दामों में न बिके तो किसानों को इससे बेहद नुकसान होता है. गर्मियों के मौसम में सब्जियां बाजारों में ज्यादा बिकती है और मुनाफा भी ज्यादा आता है, लेकिन इस बार के हालातों पर किसानों का कहना है कि उनपर दोहरी मार पड़ रही है, पूंजी भी लग गई फसल भी तैयार है पर अब बिक नहीं पा रही. आखिर वह करें तो करें?.

Corona hit on farmers
किसानों पर कोरोना की मार

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Published : May 15, 2021, 8:18 PM IST

शहडोल।जिले में बीते 9 अप्रैल से कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है, इस दौरान प्रशासन ने आवश्यक सेवाओं के अलावा सभी गतिविधियों पर पाबंदी लगाई है. जिसके कारण जिले में सब्जी के किसान अपनी फसल नहीं बेच पाने के कारण परेशान हैं. हालांकि जिले में प्रशासन द्वारा तय समयानुसार सब्जी विक्रेता सब्जियों को बेच सकते हैं, लेकिन कर्फ्यू के दौरान किसानों के खतों से सब्जियों की सप्लाई पूरी तरह नहीं हो पा रही है. यहां किसानों ने अपनी मेहनत से फसल तो उगा ली है, लेकिन फसल को नहीं बेच पाने के कारण उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है और किसान अपनी सब्जियों को फैंकने को मजबूर हो रहे हैं.

किसानों पर कोरोना की मार
  • मुनाफा नहीं इस बार दोहरी मार

गर्मी के सीजन में सब्जियों की खेती काफी महंगी होती है और तपती धूप में काम करना भी मुश्किल होता है. ऐसे में जब किसान फसल तैयार करें और वह सही समय पर सही दामों में न बिके तो किसानों को इससे बेहद नुकसान होता है. गर्मियों के मौसम में सब्जियां बाजारों में ज्यादा बिकती है और मुनाफा भी ज्यादा आता है, लेकिन इस बार के हालातों पर किसानों का कहना है कि उनपर दोहरी मार पड़ रही है, पूंजी भी लग गई फसल भी तैयार है पर अब बिक नहीं पा रही. आखिर वह करें तो करें?.

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  • ई टीवी भारत ने की किसानों से बात

किसानों के इस हाल को लेकर ई टीवी भारत ने कई किसानों से बात की. शिवपुरी में सब्जी की खेती करने वाले सुरेश चौधरी कहते हैं कि उन्होंने दूसरों के खेत पर सब्जी की खेती इस उम्मीद के साथ की थी कि वह उससे ज्यादा कमाई करेंगे. उन्होंने फसल तैयार करने में कई महीने मेहनत की और अब उनके खेत में सब्जियां तैयार हैं तो वह बिक नहीं रही है. उन्होंने कहा कि वह हाल में इस उम्मीद के साथ शहडोल सब्जी लेकर गए थे कि शायद थोड़ी बहुत ही सही कहीं कुछ बिक जाएगी, लेकिन उसे लेकर वापस उन्हें बैरंग लौट कर आना पड़ा. सुरेश चौधरी कहते हैं कि अभी जो फसल तैयार है, उसे आखिर में जानवरों को खिलाना पड़ जाता है जिसके चलते वह काफी निराश हैं क्योंकि पिछले साल भी यही हुआ था और इस साल भी कुछ ऐसा ही हो रहा है.

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  • क्या कहते हैं युवा किसान?

पंकज शुक्ला जिले के युवा किसान हैं उन्होंने इस साल से सब्जी की खेती करनी शुरू की है. उनके खेत में ककड़ी, लौकी, बरबटी, कलिंदर की फसल तैयार हैं. पंकज शुक्ला कहते हैं जब मंडी ही नहीं खुल रही है तो माल कहां से बिक पाएगा. फसल तैयार है और वह बर्बाद हो रही है. अपने घर में लौकी की ढेर दिखाते हुए पंकज शुक्ला कहते हैं कि अब वह इसे बेचे कहां. यह इतने ज्यादा तादात में है एक, दो किलो होता तो बिक भी जाता. इतने तादात में सब्जियां तो मंडी में ही बिकती हैं और अब मंडी तो बंद है.

  • पिछले साल भी था यही हाल

पिछले 2 वर्षों से गर्मी के सीजन में सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है, दो-तीन महीने मेहनत करने के बाद किसानों की फसल तो तैयार हो जाती है, लेकिन उन्हें बेचने के लिए जब बाजार की जरूरत होती है वह उन्हें कोरोना कर्फ्यू के कारण नहीं मिल पा रहा है.

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