शहडोल। शहडोल जिला प्रतिभाओं से भरा हुआ जिला है. फिर चाहे शहरी मुख्यालय हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र के ग्रामीण. अंचलों में भी कई ऐसे आयोजन होते रहते हैं जो अनायास ही लोगों का ध्यानाकर्षण अपनी और खींच लेते हैं. एक ऐसा ही आयोजन इन दिनों शहडोल जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर ऐन्ताझर गांव में चल रहा है. जहां टाइगर कप क्रिकेट टूर्नामेंट में क्रिकेट के साथ आदिवासी सभ्यता से जुड़ा 'शैला करमा नृत्य' भी हो रहा है. साथ ही हर चौके छक्के पर मांदर की थाप पर लोग थिरकते नजर आ रहे हैं. ढोल नगाड़े बज रहे तो वहीं क्रिकेट प्रेमियों के मनोरंजन की पूरी व्यवस्था की गई है.
- क्रिकेट और सभ्यता का समावेश
शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. इस जिले में परंपरागत शैला करमा नृत्य भी यहां की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है. लेकिन बदलते वक्त के साथ कहीं ना कहीं यह भी अब विलुप्ति की कगार पर है. वजह है आधुनिकता के साथ ही युवाओं का इस ओर से ध्यान आकर्षण कम होना. लेकिन अगर इस खूबसूरत संस्कृति को बचाने के लिए ऐसे आयोजनों में शैला करमा नृत्य जैसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाए तो निश्चित ही इसे बढ़ावा मिलेगा. ग्रामीण क्षेत्र में हो रहे इस टूर्नामेंट में कुछ ऐसा ही किया जा रहा है. जहां हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इस आयोजन के साथ ही शैला करमा नृत्य को भी बराबर तवज्जो दी जा रही है. जिससे लोगों का न केवल मनोरंजन हो रहा है, साथ ही क्रिकेट का रोमांच भी बढ़ रहा है. इस आयोजन में शामिल होने दूर-दूर के गांव से लोग आ रहे है.
- बादशाह इलेवन और गोरतरा के बीच फाइनल
ऐन्ताझर गांव में खेले जा रहे टाइगर कप क्रिकेट टूर्नामेंट में फाइनल मुकाबला बादशाह 11 और गोरतरा के बीच खेला गया. यह दोनों ही टीमें शहडोल जिला मुख्यालय की है. जो इस ग्रामीण अंचल के आयोजन के फाइनल तक का सफर तय करने में कामयाब रही. वैसे तो जिलेभर की टीमों ने यहां हिस्सा लिया लेकिन यह दो टीम मजबूत प्रतिस्पर्धा में फाइनल तक पहुंचने में कामयाब रहीं.