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क्रिकेट की ऐसी दीवानगी, देखी नहीं होगी कहीं - शहडोल न्यूज

क्रिकेट आज के समय में युवाओं को एक साथ लाने का सबसे आच्छा माध्यम है. क्योंकि क्रिकेट हमारे देश में त्योहार की तरह मनाया जाता है. क्रिकेट के माध्यम से यदि हम युवाओं को संस्कृति से जोड़ने का प्रयास करें तो यह एक अच्छा प्रयास साबित हो सकता है. ऐसा ही प्रयोग शहडोल में टाइगर कप क्रिकेट टूर्नामेंट में हुआ.

Tiger Cup Cricket Tournament
टाइगर कप क्रिकेट टूर्नामेंट

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Published : Feb 23, 2021, 9:15 PM IST

शहडोल। शहडोल जिला प्रतिभाओं से भरा हुआ जिला है. फिर चाहे शहरी मुख्यालय हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र के ग्रामीण. अंचलों में भी कई ऐसे आयोजन होते रहते हैं जो अनायास ही लोगों का ध्यानाकर्षण अपनी और खींच लेते हैं. एक ऐसा ही आयोजन इन दिनों शहडोल जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर ऐन्ताझर गांव में चल रहा है. जहां टाइगर कप क्रिकेट टूर्नामेंट में क्रिकेट के साथ आदिवासी सभ्यता से जुड़ा 'शैला करमा नृत्य' भी हो रहा है. साथ ही हर चौके छक्के पर मांदर की थाप पर लोग थिरकते नजर आ रहे हैं. ढोल नगाड़े बज रहे तो वहीं क्रिकेट प्रेमियों के मनोरंजन की पूरी व्यवस्था की गई है.

क्रिकेट की ऐसी दीवानगी
  • क्रिकेट और सभ्यता का समावेश

शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. इस जिले में परंपरागत शैला करमा नृत्य भी यहां की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है. लेकिन बदलते वक्त के साथ कहीं ना कहीं यह भी अब विलुप्ति की कगार पर है. वजह है आधुनिकता के साथ ही युवाओं का इस ओर से ध्यान आकर्षण कम होना. लेकिन अगर इस खूबसूरत संस्कृति को बचाने के लिए ऐसे आयोजनों में शैला करमा नृत्य जैसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाए तो निश्चित ही इसे बढ़ावा मिलेगा. ग्रामीण क्षेत्र में हो रहे इस टूर्नामेंट में कुछ ऐसा ही किया जा रहा है. जहां हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इस आयोजन के साथ ही शैला करमा नृत्य को भी बराबर तवज्जो दी जा रही है. जिससे लोगों का न केवल मनोरंजन हो रहा है, साथ ही क्रिकेट का रोमांच भी बढ़ रहा है. इस आयोजन में शामिल होने दूर-दूर के गांव से लोग आ रहे है.

क्रिकेट के साथ सभ्यता का परिचय
  • बादशाह इलेवन और गोरतरा के बीच फाइनल

ऐन्ताझर गांव में खेले जा रहे टाइगर कप क्रिकेट टूर्नामेंट में फाइनल मुकाबला बादशाह 11 और गोरतरा के बीच खेला गया. यह दोनों ही टीमें शहडोल जिला मुख्यालय की है. जो इस ग्रामीण अंचल के आयोजन के फाइनल तक का सफर तय करने में कामयाब रही. वैसे तो जिलेभर की टीमों ने यहां हिस्सा लिया लेकिन यह दो टीम मजबूत प्रतिस्पर्धा में फाइनल तक पहुंचने में कामयाब रहीं.

युवाओं ने भी बजाया ढोलक

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  • ध्यानाकर्षण के लिये भी बेहतर मंच

टूर्नामेंट के आयोजक कभी इस टूर्नामेंट में खुद भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले सुशील शर्मा ने बताया कि इस तरह के आयोजन से हमारे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का विभिन्न विधाओं में विकास तो होता ही है, साथ ही अपने क्षेत्र के खिलाड़ियों को एक मंच भी मिलता है. जिससे खेल के माध्यम से आने वाले समय में इस ग्रामीण अंचल के खिलाड़ी भी जिले प्रदेश और देश में अपना नाम कमा सकें. आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग ऐसे आयोजनों में आते हैं. वहीं दूसरी ओर हम लोगों का प्रयास भी रहता कि इस मंच के माध्यम से संभागीय मुख्यालय के व्यापारी प्रशासनिक सेवा से जुड़े लोग हों या जनप्रतिनिधि हो इसी मंच पर उनका भी आगमन होता है.

मांदर की थाप की थाप के बीच क्रिकेट
  • युवाओं के विकास का बड़ा माध्यम ऐसा आयोजन

कभी इस टूर्नामेंट में खुद भी खेलने वाले पूर्व खिलाड़ी आयोजक समिति में रहने वाले सदस्य गिरीश श्रीवास्तव जो आज इस टूर्नामेंट में अतिथि बनकर शामिल हुए वह बताते हैं कि यह खेल कई मायनों में बहुत अच्छा होता है. इससे मानसिक विकास होता है, लोगों में नेतृत्व की क्षमता आती है और हमारे क्षेत्र में लगातार हम लोग टाइगर कप का आयोजन कर रहे हैं. इससे हमारे जो गांव के नवीन प्रतिभा है वह काफी उभर कर आई है. कई ऐसे यहां से प्लेयर निकले जो डिस्ट्रिक्ट में खेल रहे, स्टेट में खेल रहे हैं. हमारे यहां के युवकों का सर्वांगीण विकास हुआ है.

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