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चट्टान और बंजर भूमि पर तैयार किया हरा-भरा बगीचा, यह मॉडल देख हर कोई रह जाता है हैरान - शहडोल न्यूज

शहडोल के कल्याणपुर में बना कृषि केंद्र आज अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. उंचाई पर बने इस कृषि संस्थान में करीब 10 हजार से भी ज्यादा पेड़-पौधे लगे हैं और यह सब संभव हुआ पर्यावरण प्रेमी और कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह और उनकी टीम के चलते.

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मेहनत की हरियाली

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Published : Jun 5, 2020, 11:28 AM IST

शहडोल।जिले के कल्याणपुर में बना कृषि केंद्र यहां के प्रभारी डॉ. मृगेंद्र सिंह की मेहनत से किसानों के लिए प्रेरणादायी संस्थान बन गया है. जिन्होंने अपने पर्यावरण प्रेम के चलते चट्टान पर बने इस संस्थान की बंजर भूमि को भी हरा-भरा बना दिया. मृगेंद सिंह बताते हैं कि उन्हें प्रकृति से बहुत प्रेम है इसीलिए कई नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने कृषि वैज्ञानिक की नौकरी की. जब वह कल्याणपुर पहुंचे तो यहां की जमीन बंजर थी. लेकिन उन्होंने इस बंजर भूमि को भी उपजाऊ भूमि में तब्दील करने की ठान ली. 10 साल से भी ज्यादा के समय में उनकी मेहनत रंग लाई और बंजर भूमि भी हरी-भरी हो गई.

चट्टान और बंजर भूमि पर तैयार कर दिया हरा-भरा बगीचा

आज कल्याणपुर के कृषि संस्थान में अलग-अलग किस्म के करीब 10 हजार से भी ज्यादा पेड़-पौधे लगे हैं. मृगेंद्र सिंह ने बताया कि यहां की पूरी जमीन सैंडी सॉइल थी. जिसमें पेड़-पौधे लगाना आसान नहीं होता. क्योंकि इस तरह की जमीन में दीपक का प्रकोप ज्यादा रहता है. लेकिन अगर थोड़ी मेहनत की जाए तो इस तरह की जमीन पर भी खेती की जा सकती है. किसानों को यही बात समझाने के लिए उन्होंने यह मॉडल तैयार किया. डॉ. मृगेंद्र सिंह टीम ने यहां कम पानी वाले पौधे लगाए जिनमें आम, अमरूद, लीची और आंवला सहित कई वैरायटी के पौधे लगे हुए हैं.

चट्टान पर बना है कृषि संस्थान

मॉडल तैयार करने में लगे 10 साल

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह बताते हैं कि इस मॉडल को तैयार करने में 10 से 11 साल लग गए. सालों पहले लगाए गए पौधे अब पेड़ बन चुके हैं. हालांकि इस तरह का बगीचा लगाने के लिए उसकी सही देखरेख की जरूरत पड़ती है. आज किसान यहां आकर बंजर जमीन को भी उपजाऊ भूमि बनाने के गुण सीख कर जाते हैं. उन्होंने बताया तत्कालीन कृषि मंत्री डॉ. गौरीशंकर बिसेन भी इस कृषि केंद्र का दौरा किया था. अपनी मेहनत पर खुशी जताते हुए मृगेंद्र सिंह कहते हैं 10 साल की मेहनत के बाद इन पेड़ों को देखकर उनकी थकान कम हो जाती है. वे कहते हैं कि पर्यावरण को सहेजने के लिए हर इंसान को कम से कम पांच पेड़ तो लगाने ही चाहिए.

डॉ. मृगेंद्र सिंह की टीम

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