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Shahdol Mauni Vrat: विलुप्ति की कगार पर आदिवासियों की अनोखी परंपरा मौनी व्रत, गाय का जूठा खाकर तोड़ा जाता है व्रत - diwali 2023

शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और ये जिला चारों ओर से आदिवासी अंचल से घिरा हुआ है. यहां आदिवासियों की कई ऐसी अनोखी परंपराएं हैं, जो अब भले ही विलुप्ति की कगार पर पहुंच रही हैं. लेकिन काफी अनोखी और अद्भुत हैं. देखा जाए तो इन परंपराओं का निर्वहन करना इतना आसान भी नहीं है. इन्हीं परम्पराओं में से एक है आदिवसियों का मौनी व्रत. जिसे दीवाली के दूसरे दिन किया जाता है. लेकिन अब यह परंपरा विलुप्त की कगार पर है.

Shahdol Mauni Vrat
विलुप्ति की कगार पर आदिवासियों की अनोखी परंपरा मौनी व्रत

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 13, 2023, 10:45 PM IST

शहडोल।आदिवासियों की सबसे कठिन और अनोखी परंपरा है मौनी व्रत, जो काफी अद्भुत भी है. इसके बारे में जानकर हर कोई हैरान भी रहता है कि आखिर इतना कठिन व्रत कोई कैसे कर पाता है. मौनी व्रत को दीपावली की सुबह करने की परंपरा है. आदिवासी समाज के लोग कई सालों से लगातार इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. हालांकि अब पहले जैसा माहौल नहीं रह गया है, पहले जहां पूरे रीति रिवाज के साथ इस परंपरा का निर्वहन किया जाता था. लेकिन अब बदलते वक्त का असर इस मौनी व्रत पर भी देखने को मिल रहा है. युवाओं का रुझान इधर बिल्कुल भी नहीं है, और अब हर गांव में होने वाला यह व्रत अब कुछ गांव तक ही सीमित रह गया है. उसके लिए भी आपको उन गांव की तलाश करनी होगी कि आखिर मौनी व्रत किन गांव में हो रहा है.

आदिवासियों की अनोखी परंपरा मौनी व्रत

युवाओं का रुझान बिल्कुल भी नहीं:आखिर आदिवासियों की अनोखी परंपरा मौनी व्रत क्यों विलुप्त की कगार पर पहुंच गया है. इसे जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम ने गांव के आदिवासी समाज के लोगों से बात की तो बुजुर्ग नान बाबू बैगा बताते हैं कि ''इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि जैसे-जैसे समय में आधुनिकता आ रही है इसका असर अब आदिवासी समाज पर भी देखने को मिल रहा है. युवाओं का रुझान इस तरह के परंपराओं पर अब बिल्कुल भी नहीं है, आज के युवा इस तरह के अनोखे व्रत को नहीं करना चाहते हैं. यही वजह भी है कि अब गांवों से मौनी व्रत की ये अनोखी परंपरा विलुप्त की कगार पर पहुंच रहा है.''

दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है मौनी व्रत

काफी अनोखा है मौनी व्रत:दिवाली के दूसरे दिन सुबह होने वाले इस मौनी व्रत को लेकर लाल बैगा, केशव कोल, भैया लाल सिंह छलकू बैगा बताते हैं कि ''ये परंपरा काफी अनोखी है और इस परंपरा को करने के लिए काफी लगन, धैर्य और तप की जरूरत होती है. इस व्रत की खूबसूरती यह है कि इसे जोड़े में किया जाता है, और इसे पुरुष वर्ग के लोग ही करते हैं. जो भी युवा इस व्रत को करना चाहता है, उसे अपना एक साथी और तैयार करना पड़ेगा. फिर जोड़े में इस व्रत को किया जाता है. इस व्रत को करने के लिये दिवाली की सुबह गांव में सामूहिक तौर पर एक पंडाल बनाया जाता है. बदलते वक्त का असर आधुनिकता का असर इस पर भी दिखता है, और अब लोग टेंट लगाकर, इस प्रथा का निर्वहन करते हैं."

गाय का जूठा खाकर तोड़ा जाता है व्रत

दिन भर जंगल में रहते हैं लोग: जो मौनी व्रत करेगा वह सुबह-सुबह तालाब में स्नान कर, तैयार होकर नारियल लेकर उस स्थल पर पहुंचेगा. उनके घर की महिलाएं पूजा की थाल लेकर पहुंचेंगी. इस व्रत का नियम ये भी है कि जोड़े में एक आदमी पुरुष वर्ग के परिधान में रहता है तो दूसरा आदमी महिला वर्ग के परिधान में रहता है. इस व्रत की अनोखी बात ये है, कि जब सुबह लोग उस स्थल पर पहुंचते हैं तो वहां पर गाय की बछिया की परिक्रमा करते हैं, पूजा करते हैं और उसके चारों पैर के बीच से निकलकर परिक्रमा करते हैं, जिसे सात बार करना होता है. फिर वही से वो मौनी व्रत शुरू हो जाता है. वहीं से वो जंगलों की ओर निकल जाते हैं, दिन भर जंगलों में रहते हैं, गाय चराते हैं, इशारों में बात करते हैं, सीटी से बात करते हैं, लेकिन बोलते नहीं है. अगर कोई बोल दिया है, तो फिर उसका जो दूसरा साथी है, उसे याद दिलाता है. इसके बाद शाम को जब मवेशियों के घर आने का समय होता है तब सभी उस स्थल पर एकत्रित होते हैं, समूह में पूजा की जाती है. फिर यह लोग अपने घरों की ओर जाते हैं.

विलुप्ति की कगार पर आदिवासियों की अनोखी परंपरा मौनी व्रत

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व्रत तोड़ने की भी है अनोखी परंपरा:मौनी व्रत को तोड़ने की भी अनोखी परंपरा है. जब शाम को जोड़े में लोग व्रत तोड़कर घरों की ओर पहुंचते हैं तो जो दो जोड़ीदार होते हैं वह पहले एक घर में जाते हैं वहां व्रत तोड़ा जाता है और फिर ठीक उसी तरह दूसरे घर में जाकर भी व्रत तोड़ा जाता है. घर में जो भोजन बनता है उसे पहले गाय को खिलाया जाता है, और जो गाय का जो जूठा भोजन बचता है, उसे गाय की तरह बैठकर मुंह लगाकर खाया जाता है. ठीक उसी तरह पानी भी पिया जाता है.

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