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भीषण ठंड से प्रभावित हो सकती हैं फसलें, जानिए कृषि वैज्ञानिक से नुकसान से बचने का उपाय - मध्यप्रदेश में ठंड से फसल हो रहे खराब

शहडोल में इस भीषण ठंड और बिगड़े मौसम की वजह से किसानों की फसलों पर भारी असर पड़ सकता है. फसलों पर कई बिमारियां मंडरा सकती हैं(Severe cold in MP bad effect on crops). जानें कृषि वैज्ञानिक बी.के प्रजापति से कैसे फसलों को सारी परेशानियों से दूर रखें...

Severe cold in MP bad effect on crops
एमपी में भीषण ठंड का फसलों पर बुरा असर

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Published : Jan 5, 2023, 12:56 PM IST

शहडोल। जिले में नए साल के आगाज के साथ ही मौसम भी पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है. आसमान में बादल छाए हुए हैं, घने कोहरे से इलाका डूबा हुआ है, साथ ही गलन वाली ठंड है. ओस की बूंदे गिर रही हैं, कई दिनों से सूरज नहीं निकला है. जिस तरह से लगातार कोहरा गिर रहा है, उससे किसानों के लिए भी दिक्कतें आ सकती हैं(Severe cold in MP bad effect on crops). फसलों पर कई तरह के रोग लग सकते हैं. ऐसे में फसलों पर कीट रोग व्याधि लगने की संभावना बन जाती है. इन सारी परेशानियों को दूर करने का तरीका कृषि वैज्ञानिक से जानिए.

एमपी में भीषण ठंड का फसलों पर बुरा असर

फसलों पर आ सकती है ऐसी दिक्कतें:कृषि वैज्ञानिक बी.के प्रजापति बताते हैं कि, कोहरे के साथ अगर बादल छाए हैं, या विभिन्न प्रकार के हानिकारक कवक लगे हैं वह पौधों पर वृद्धि करने लग जाते हैं. इसकी वजह से उत्पादकता निश्चित रूप से कम होती है. जैसे गेहूं की फसल में रष्ट लगने की समस्या होती है, उसी प्रकार से जो हमारी सरसों की फसल है, उसमें अल्टरनेरिया ब्लाइट लगने का खतरा रहता है(crops hover diseases in Shahdol). अगर हमारे खेत में नमी है और बादल छाए हैं तो जो हमारी दलहनी फसल जैसे चना, मसूर उसमें निश्चित रूप से उकठा की समस्या बहुत ज्यादा देखने को मिलेगी.

ऐसे करें उपाय:कृषि वैज्ञानिक बी.के प्रजापति बताते हैं, हमें सरसों की फसल में अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट पत्तियों में देखने को मिलती है. इसमें जो सरसों की पत्तियां होती हैं वह भूरे रंग की हो जाती है, सूखने लगती हैं और बीच में सफेद हो जाती हैं. इसके नियंत्रण के लिए मैंकोजेब दवा 2 ग्राम 1 लीटर पानी में घोलकर डाल सकते हैं, इसके बाद इसका फसलों पर छिड़काव करना होता है. इसी प्रकार से गेहूं की फसल में रष्ट लगता है, जिससे पत्तियों में पाउडर और पीले रंग की हो जाती है. इसके नियंत्रण के लिए प्रोपीकोना जोल नामक दवा का इस्तेमाल किया जाता है. मैंकोजेब दवा का भी फसल पर छिड़काव करना होता है.

चने की फसल को कैसे बचाएं:इस मौसम में मटर की फसल में भी रोग लगता है. उसके नियंत्रण के लिए सल्फर का इस्तेमाल किया जाता है. मैंकोजेब दवा, मेटालिक सिल्क इन दवाओं से भी आप फसल को नष्ट होने से बचा सकते हैं. चने की फसल पर लगे रोग को नियंत्रण में लाने के लिए ट्राइकोडरमा 2 से 3 केजी मात्रा के साथ 50 से 60 केजी गोबर में मिलाकर नमी युक्त करके उसे पॉलिथीन से ढक दें. एक सप्ताह बाद उसमें ट्राइकोडरमा बिरडी पूरी तरह से मिल जाएगा, तो आप उसे प्रति एकड़ 50 से 60 केजी में छिड़काव करते हैं. उसमें उकठा जैसी बीमारियों का भी नियंत्रण किया जा सकता है.

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सब्जियों की फसल का ऐसे करें निवारण:सब्जियों की बात करें तो इस मौसम में वर्तमान में लेट ब्लाइट रोग होता है. ये रोग आलू की फसल में देखने को मिलता है. इसी तरह टमाटर की पत्तियों में भी ब्लाइट रोग लगता है. पत्ती में गलन होती है, या पत्तियां भूरे रंग की हो जाती हैं. इसकी वजह से सही तरीके से टमाटर नहीं होंगी(MP bad effect on crops). इसके नियंत्रण के लिए भी मैंकोजेब नामक दवा, मैटालिक सिल्क दवा की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर अगर छिड़काव करें तो निश्चित रूप से फसल बचा सकते हैं.

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