शहडोल। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, खेती किसानी में भी नई-नई तकनीक आती जा रही हैं, जो किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं. इन दिनों जैविक खेती को ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में जो किसान जैविक खेती करते हैं, उनके लिए सबसे बड़ी समस्या होती है कि वो फसलों में लगने वाले कीटों को कैसे नियंत्रित करें. क्योंकि वो रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल तो कर नहीं सकते हैं. ऐसे में किसानों के लिए सबसे बड़ी परेशानी फसलों में कीटों का नियंत्रण होता है, जो उनके फसलों को बर्बाद करती हैं. ऐसे किसानों के लिए सोलर लाइट ट्रैप वरदान साबित हो सकता है.
सोलर लाइट ट्रैप किसानों के लिए वरदान:कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बृजकिशोर प्रजापति बताते हैं कि ''सोलर लाइट ट्रैप जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. वजह है इसके इस्तेमाल से आसानी से किसान फसलों में लगने वाले कीटों पर नियंत्रण पा सकता है. जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए ये एक सबसे बड़ी समस्या होती है क्योंकि उनके पास कीटों के नियंत्रण के लिए बहुत ज्यादा ऑप्शन नहीं होते हैं. ऐसे में सोलर लाइट ट्रैप किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके इस्तेमाल से कीट तो नियंत्रित होंगे ही, साथ ही खेती में लागत भी कम लगेगी. फसलों में अगर कीट नहीं लगेंगे, तो उत्पादन भी बंपर होगा, जिससे किसानों को फायदा होगा.''
सोलर लाइट ट्रैप कैसे काम करता है:फसलों में लगने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए सोलर लाइट ट्रैप कैसे काम करता है, इसके बारे में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर ब्रिज किशोर प्रजापति बताते हैं कि ''सोलर लाइट ट्रैप सूर्य की रोशनी के माध्यम से चार्ज हो जाता है, बाहर से कोई भी एनर्जी आपको नहीं देनी होती. मतलब बिजली का इस्तेमाल नहीं करना होता है. सूरज की रोशनी पर ही आपकी बैटरी चार्ज हो जाएगी. सोलर लाइट ट्रैप का मतलब ये होता है कि लाइट को देखकर जो कीट होते हैं वह इसकी ओर आकर्षित होते हैं, और इसमें जो जाली लगी होती है, उसमें जाकर ये कीट फंस जाते हैं. सोलर लाइट ट्रैप को जब आप अपनी खेत पर लगा देते हैं तो ये दिनभर खेत में सूर्य की रोशनी से चार्ज होता है और फिर जैसे ही रात होती है ये उसके बैटरी के बटन को चालू करते ही जलने लगता है. फिर इसकी रोशनी में कीट इस मशीन की ओर आकर्षित होते हैं और फिर इसमें लगे जाल में आकर ये कीट फंस जाते हैं. इसमें मुख्य रूप से जो रात्रि में निकलने वाले कीट होते हैं वो अट्रेक्ट होते हैं, इससे 375 नैनोमीटर वेवलेंथ की रेडिएशन निकलती है, इसमें अल्ट्रावायलेट ब्लू लाइट होती है, मतलब नीली लाइट होती है.''
रात में इस समय तक काफी फायदेमंद:कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बृजकिशोर प्रजापति बताते हैं कि ''जो सोलर लाइट ट्रैप होता है इसे रात्रि में शाम को 7:00 बजे से 11:00 बजे तक लगाया जाता है. रात में यही वो समय होता है जब फसलों पर ज्यादातर कीट अपना प्रभाव छोड़ते हैं. जब सोलर लाइट ट्रैप जलता है तो वो उधर आकर्षित होते हैं, और फिर सोलर लाइट में लगे जाल में जाकर फंस जाते हैं. इन कीटों से किसानों की फसल सुरक्षित हो जाती है.''