शहडोल। खरीफ सीजन के खेती की शुरुआत कुछ दिन बाद ही शुरू होने जा रही है. ज्यादातर लोग कोशिश करते हैं की उनकी फसल में लागत में कमी आए, जिससे उन्हें मुनाफा हो सके. साथ ही कई लोग जैविक खेती करते हैं, जो रासायनिक खाद नहीं डालना चाहते हैं, कीटनाशक नहीं डालना चाहते हैं तो उनके लिए सबसे बड़ी समस्या होती है कि जब वह नर्सरी तैयार करते हैं तो उसमें कई तरह के रोग कीट लग जाते हैं. कई तरह के खरपतवार होते हैं, जिससे फसल नर्सरी की सुरक्षा करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती हो जाती है और समय पर नर्सरी भी तैयार नहीं हो पाती है. ऐसे में सॉइल सोलेराईजेशन करके किसान अपने हर समस्या का समाधान कर सकते हैं. (Shahdol Planting Crops Nursery)
क्या है सॉइल सोलेराइजेशन: कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि सॉइल सोलेराईजेशन का मतलब भूमि का सौरीकरण है, ये मुख्य रूप से उन जगहों पर उस जमीन पर किया जाता है, जहां किसी तरह की नर्सरी डाली जाती है. पौधे तैयार किये जाते हैं, वहां पर सॉइल सोलेराईजेशन किया जाता है. सामान्य रूप से नर्सरी जहां पर पानी का सोर्स होता है, वहां पर लोग नर्सरी डालते हैं और साल दर साल उसी जगह का लोग इस्तेमाल करते हैं, क्योंकी वो सबसे उपयुक्त जगह होती है, नर्सरी लगाने की. इसलिए जरूरी होता है कि नर्सरी लगाने वाले जगह की सॉइल सोलेराईजेशन कर लेना चाहिए. जिससे स्वस्थ नर्सरी तैयार होगी और किसी तरह के रोग व्याधि कीट नहीं लगेंगे. (What is Soil Solarization)
ऐसे करें सॉइल सोलेराइजेशन: नर्सरी लगाने वाली मिट्टी की सॉइल सोलेराईजेशन करने के बारे में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि अगर सॉइल सोलेराईजेशन की बात करें तो जैसे कि नाम से ही पता चल रहा होगा कि इसमें हम सूरज की रोशनी और उसके टेम्परेचर का उपयोग करते हैं. गर्मियों में जब तेज गर्मी होती है तो जहां पर हमें नर्सरी लगानी होती है, हम उस जगह की मिट्टियों की खुदाई कर देते हैं. गहरी खुदाई कर देते हैं और उसमें सिंचाई करके उस पर हम पॉलिथीन डाल देते हैं, उससे होता ये है की सूरज जब तपता है, तो उस जगह पर खूब सारा टेम्परेचर हो जाता है. उस पॉलिथीन के नीचे हाथ डालें तो इतना तेज गर्म होता है कि हाथ जलने की भी संभावना बनने लगती है.
सॉइल सोलेराइजेशन के फायदे: कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि सॉइल सोलेराईजेशन के कई फायदे हैं. सॉइल सोलेराइजेशन का उद्देश्य ये है कि एक तो शुरुआती जो खरपतवार होते हैं, उड़ कर भी आ सकते हैं. पहले से भी रह सकते हैं तो सॉइल सोलेराईजेशन से एक तो खरपतवार नियंत्रण हो जाता है, जब उस जगह पर हमने पानी डाला तो वो खरपतवार उग जाते हैं और ज्यादा तापमान में नष्ट भी हो जाते हैं. दूसरा इसका सबसे बड़ा फायदा है, जो भूमि जनित जो रोग हैं, वो चाहे कवक वाले हों, बैक्टीरिया वाले हों, जब हम हर साल वहां पर नर्सरी तैयार करते हैं, तो वो धीरे-धीरे बीज के द्वारा, पानी के माध्यम से या भूमि के माध्यम से आ जाते हैं. वो सॉइल सोलेराईजेशन से खत्म हो जाता है. जो बीमारी उत्पन्न करने के लिए कवक या बैक्टीरिया होते हैं, जिनसे भूमि किसी प्रकार से दूषित हो जाती है, ये अधिक टेम्परेचर होने की वजह से और सूरज की रोशनी बढ़ने की वजह से ये जो हानिकारक कवक और बैक्टरिया हैं, वो नष्ट हो जाते हैं. मतलब सॉइल सोलेराईजेशन से ये खत्म हो जाते हैं.