शहडोल।जिले में पिछले 2 दिनों में अच्छी बारिश हुई है. जिसके बाद एक बार फिर किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. किसानों की फसलों को पानी की जरूरत थी और इस बारिश से किसानों के खेतों में एक बार फिर पानी पहुंच गया. जिसके बाद उनकी धान की फसल एक बार फिर से लहलहाने लगी है. वहीं किसानों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं. ऐसे मौसम बदलाव के बीच किस तरह के रोग फसलों पर लग सकते हैं, किन लक्षणों का किसानों को विशेष ख्याल रखना चाहिए और ऐसे रोग आते हैं तो किस तरह से उसका उपचार करना चाहिए. ये जानने के लिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट पढ़ें.
धान की फसल वाले किसान रहें सावधान
कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि शहडोल जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा रकबे में की जाती है. यूं कहें कि धान यहां की मुख्य फसल है, ऐसे में धान के हिसाब से भी जिले में बहुत अच्छी बारिश अब तक हुई है. शहडोल जिले में करीब एक लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा रकबे में धान की खेती की जाती है. धान की फसल में समय से जिनकी रोपाई हो गई थी, वह गलेथ में आ चुकी हैं. मतलब बाली निकलने लगी है. वहीं जो बाद में भी लगी है, वह धान भी बहुत अच्छी स्थिति में है. ऐसे में आप यूरिया की टॉप ड्रेसिंग अपने धान की फसल पर कर सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह ने कहा कि जहां तक देखरेख की बात करें, तो इस समय धान की फसल में तना छेदक रोग लगने की संभावना रहती है. कहीं-कहीं रिपोर्ट में आ रहा है कि अंडे से निकलकर इल्ली सीधा तने में घुसकर अंदर खाते-खाते इसकी गांठ तक घुस जाती है तो इसका नुकसान ये होता है कि अगर फसल बढ़वार की स्थिति में होती है तो पौधा सूख जाता है और अगर फसल गलेथ की स्थिति में होती है तो या तो बाली नहीं निकलती है और अगर निकलती भी है तो सूख जाती है, जिसको हम लोकल भाषा में करील कहते हैं.
कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह ने जानकारी दी की. कहीं-कहीं धान की फसल में पत्ती लपेटक का प्रकोप भी देखने-सुनने को मिल रहा है. पत्ती लपेटक में यह होता है कि इसमें धान की दो पत्तियों का जो कीट होता है, वह मिला देता है और धान के बीच में जाकर जो हरा पदार्थ होता है, उसे खा लेता है. जिससे धान की फसल को बहुत ज्यादा नुकसान होता है. अभी तो नहीं लेकिन जब धान की फसल में बालियां आएंगी तो अपने क्षेत्र में गंधी कीट का भी प्रकोप देखा गया है, जोकि रस चूसता है. कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि मौजूदा समय में देखा जाए तो ये सारे रोग आपके धान की फसल पर लग सकते हैं. इसलिए फसलों की निगरानी इस समय बहुत जरुरी है. किसान भाई अपने धान की फसलों की इस समय सतत निगरानी करें, अगर इस तरह की चीजें नजर आती हैं तो उसका उचित उपचार करें.
ऐसे करें उपचार
अगर तना छेदक उन्हें दिखाई देता है, जिसे करील कहते हैं, तो उसके लिए बढ़िया है कि कार्टप हाईड्रोक्लोराइड या कार्बो खुरान 3जी चार केजी पर एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें. अगर आपको गंधी कीट का प्रकोप दिखाई देता है, चूंकि ये बालियों का रस चूसता है, तो इसके लिए आप चाहें तो ऑर्गेनिक में जा सकते हैं. 400 एमएल नीम का तेल, 200 लीटर पानी में घोलकर और उसकी बालियों में छिड़काव कर दें.
पत्ती लपेटक कहीं पर दिखाई दे रहा है, तो उसमें लेमडासायलो थ्री, थायोमेथा एक्जाम की जो मिश्रित दवा आती है, इसका 2 एमएल प्रति लीटर के हिसाब से स्प्रे करने पर यह ठीक हो सकता है. चूंकि किसान को कई बार हाइब्रिड और जो दूसरे हैं उसमें स्मट रोग जिसको लाई फूटना कहते हैं, इसका लक्षण ये है कि उसमें बालियों में दाने की जगह पर काले रंग का चूर्ण दिखाई देता है. जैसे ही यह दिखाई देना शुरू हो, तो पॉलिथीन लेकर कैंची से उन बालियों को काटकर यह ध्यान रखें कि वह खेत में बिखर ना पाए, क्योंकि यह सॉइल बोर्न भी हैं और ओन बोर्न भी है. इसका मतलब मिट्टी से भी फैलता है और अगर पिछली बार समस्या रही हो तो भी फैलता है.
कई बार एयरबोर्न भी होता है, मतलब हवा से भी फैलता है. उसमें फफूंद नाशक खासतौर से थायो फिनेट मिथाइल 100-50 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से या कार्बेंडाजिम या मैनकोजेब किसी भी एक दवाई का स्प्रे किसानों को करना चाहिए.
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