शहडोलः नगर पालिका के अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस ने सबको चौंका दिया. ज्यादा पार्षद जीतने के बाद भी बीजेपी अपना अध्यक्ष नहीं बना सकी. कांग्रेस अध्यक्ष पद पर अपना उम्मीदवार बैठाने में सफल रही. हालांकि उपाध्यक्ष के पद में बीजेपी ने अपना प्रत्यासी जिताने में कामयाब हो गई. इस अप्रत्याशित और बड़ी जीत के बाद कांग्रेस ने जमकर जश्न मनाया तो वहीं बीजेपी खेमें में मायूसी छायी रही. (shahdol municipality president) (even less councilor congress made his president)
बीस साल बाद कमल के खिलाफ कांग्रेस का कमाल कांग्रेस ने बीस साल बाद रचा इतिहासः शहडोल नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में कमाल हो गया है. बीजेपी उलटफेर का शिकार हो गई है. कांग्रेस 20 साल बाद इतिहास बनाने में सफल रही है. जैसा कि पार्षद प्रत्याशियों के रिजल्ट आने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी मजबूत नजर आ रही है. साथ ही यह भी माना जा रहा था कि भितरघात की भी संभावना है. ठीक वैसा ही हुआ भाजपा की अंदरूनी कलह का फायदा उठाते हुए कांग्रेस शहडोल नगरपालिका में अपना अध्यक्ष बनाने में कामयाब हो गई. अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी घनश्याम जायसवाल जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. घनश्याम जायसवाल जहां 21 वोट पाकर सबसे आगे रहे. बीजेपी के प्रेम प्रकाश सोनी को महज 18 वोट ही मिले. (after 20 years congress amazing against Kamal)
उपाध्यक्ष पद पर बीजेपी का कब्जाःशहडोल नगरपालिका के उपाध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी की ओर से प्रवीण शर्मा उर्फ डोली उम्मीदवार थीं. वहीं कांग्रेस की ओर से उपाध्यक्ष के लिए कुंदन पांडे मैदान में थे. इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार प्रवीण शर्मा को जहां 22 वोट मिले. कांग्रेस के कुंदन पांडे को 17 वोट मिले और इस तरह से उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बीजेपी अपना प्रत्याशी जिताने में सफल रही. (shahdol bjp captures the post of Vice President) (even less councilor congress made his president)
Khargone Nagar Palika Election कई नगर पंचायतों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पद पर बीजेपी का कब्जा, जगह जगह निकाले गए विजय जुलूस
बीजेपी को अंतर्कलह पड़ी भारीःशहडोल नगर पालिका में सबसे ज्यादा पार्षद बीजेपी के जीत कर आए थे. शहडोल नगर पालिका में कुल 39 वार्ड थे. जिसमें से 18 वार्ड में बीजेपी के पार्षद प्रत्याशी जीते थे. 12 वार्ड में कांग्रेस के और 9 वार्ड में निर्दलीय प्रत्याशी जीत कर आए थे. इस तरह से देखा जाए तो भाजपा को महज दो पार्षद बहुमत के लिए चाहिए थे. जैसा कि पहले ही कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी में अध्यक्ष पद के कई दावेदार थे. इस अंतरकलह का फायदा कहीं कांग्रेस को मिलने की संभावना पहले ही जतायी जा रही थी. चुनाव से पहले देर रात तक बीजेपी की ओर से अध्यक्ष पद का दावेदार कौन होगा उपाध्यक्ष पद का दावेदार कौन होगा यही तय नहीं हो पाया था. बांधवगढ़ के एक रिसोर्ट में देर रात तक मीटिंग और मान मनौवल का दौर चलता रहा था. जिससे साफ नजर आ रहा था कि अध्यक्ष पद के नाम पर एकमत नेता नहीं हो पा रहे हैं. फिलहाल अध्यक्ष पद में हार के बाद बीजेपी खेमे में अंतरद्वंद्व की चर्चा जोरों पर रही. (shahdol the infighting got heavy for the BJP) (shahdol municipality president)
कांग्रेस की जीत के पीछे कौनः कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी अभी हाल ही में बदले गए थे. सुभाष गुप्ता को जिले प्रभार सौंपा गया था. उन्होंने आते ही कांग्रेस में सभी को एकजुट होकर पार्टी के लिए काम करने और जिताने का मंत्र दिया था. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कांग्रेस की इस ऐतिहासिक जीत में सुभाष गुप्ता का महत्वपूर्ण योगदान है. इसके अलावा रविंद्र तिवारी और अजय अवस्थी की भूमिका भी सराही जा रही है. कांग्रेस की इस तिकड़ी का ही यह कमाल था जो बीस साल बाद कमल के खिलाफ कांग्रेस यह कमाल कर पायी. (after 20 years congress amazing against Kamal)