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मिसाल:  रेलवे की नौकरी छोड़ी, खेती में लगाया मन, अब कमा रहे लाखों

मारे आसपास कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो कोई भी कार्य करें अपनी मेहनत, उत्सुकता और लगन के दम पर वहां अपना परचम लहरा देते हैं. कुछ ऐसे ही हैं शंकरलाल प्रजापति, एक ऐसे किसान जिसने पहले तो अपनी पढ़ाई के लिए आइसक्रीम बेची, फिर रेलवे में गार्ड की नौकरी की और अब नौकरी से वीआरएस लेकर खेती में अपना ध्यान लगा रहे हैं. उसी खेती से लाखों रुपए कमा रहे हैं.

Farmer Shankarlal Prajapati,
दूसरों के लिए मिसाल किसान शंकरलाल प्रजापति

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Published : Nov 6, 2021, 10:33 PM IST

Updated : Nov 6, 2021, 10:45 PM IST

शहडोल। हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो कोई भी कार्य करें अपनी मेहनत, उत्सुकता और लगन के दम पर वहां अपना परचम लहरा देते हैं. कुछ ऐसे ही हैं शंकरलाल प्रजापति, एक ऐसे किसान जिसने पहले तो अपनी पढ़ाई के लिए आइसक्रीम बेची, फिर रेलवे में गार्ड की नौकरी की और अब नौकरी से वीआरएस लेकर खेती में अपना ध्यान लगा रहे हैं. उसी खेती से लाखों रुपए कमा रहे हैं, खेती में इस्तेमाल होने वाले संसाधनों में नये-नये इनोवेशन भी कर रहे हैं, जो उनकी खेती में काम आ रहा है. 67-68 साल की उम्र में भी उनकी इस मेहनत को देखकर हर कोई हैरान रहता है.

दूसरों के लिए मिसाल किसान शंकरलाल प्रजापति
रेलवे की नौकरी छोड़ खेती-किसानी पर ध्यान
शहडोल जिला मुख्यालय से लगा हुआ गांव है गोरतरा ग्राम पंचायत, जहां के रहने वाले हैं शंकर लाल प्रजापति. जिनकी उम्र 67-68 साल है और इस उम्र में भी जिस लगन और उत्सुकता के साथ वो खेती-किसानी करते हैं वह देखते ही बनता है. शंकर लाल प्रजापति बताते हैं कि उन्होंने कई सालों तक रेलवे में गार्ड के पद पर नौकरी की है, फिर जब उनके पिताजी का देहांत हुआ और देखा कि खेत भी ऐसे ही पड़े रहते हैं तो उन्होंने वीआरएस ले लिया. फिर खेती-किसानी पर अपना पूरा ध्यान लगाने लगे. और आज अब उनकी खेती के स्टाइल को देखकर हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. क्योंकि इसी खेती को उन्होंने मुनाफे का सौदा बना दिया है. शंकर लाल प्रजापति की मानें, तो उसी खेती से अब वह लाखों रुपए कमा रहे हैं, जिससे उन्हें अपने नौकरी से वीआरएस लेने में कोई भी अफसोस नहीं है.

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बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ
शंकर लाल प्रजापति कहते हैं कि वह करीब 10 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं और अपने खेत में धान, गेहूं और अरहर की फसल लगाते हैं. बढ़ती उम्र को देखते हुए वो सब्जी की खेती नहीं करते. उनका कहना है कि उसे बेचेगा कौन, इसलिए धान, गेहूं और अरहर की फसल लगाकर ही उसे फायदे का सौदा बना रहे हैं. शंकर लाल प्रजापति कहते हैं जब उन्होंने खेती की शुरुआत की तो जमीन बंजर थी, धूल ही धूल था लेकिन फिर उन्होंने वहां की मिट्टी को काटकर उपजाऊ मिट्टी काली मिट्टी लाकर अपने खेतों में डलवायी और फिर खेतों को ऐसे बनाया कि वह खेत अब सोना उगल रहे हैं.

आधुनिक खेती में माहिर
शंकर लाल प्रजापति के पास खेती में इस्तेमाल होने वाली अधिकतम आधुनिक यंत्र है. शंकर लाल प्रजापति खुद भी कई ऐसे यंत्रों में इनोवेशन कर चुके हैं जो उनकी खेती में काम आते हैं. जैविक खेती की बात हो या फिर आधुनिक खेती की हर खेती में शंकर लाल प्रजापति माहिर हैं और इसीलिए खेती में उनकी मेहनत रंग लाई.

खेत के पानी को खेत में रखने की तरकीब रंग लाई
शंकर लाल प्रजापति कहते हैं कि उन्होंने पहले पानी के लिए बोर कराया, लेकिन वह सक्सेस नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने खेत के पानी को खेत में रखने की तरकीब अपनाई. इसके लिए उन्होंने 3 तालाब का निर्माण कराया, और उन 3 तालाबों में वह पूरे खेत के पानी को तो समेटते ही हैं, इसके अलावा नालों से बहकर आने वाले पानी गांव से बहकर आने वाले पानी को भी वो बहने नहीं देते, बल्कि उन्हीं तालाबों में एकत्रित करते हैं, इसी में एक बड़ा और गहरा तालाब बना रखा है, जिसमें पंप से उस तालाब को भरते हैं, और एक बार बरसात के पानी से जब तालाब भर जाता है, तो शंकर लाल प्रजापति कहते हैं कि उनको फिर दो खेती के लिए पानी की कमी नहीं होती है. इसके अलावा उस तालाब में वो मछली पालन भी करते हैं, जिससे उन्हें फायदा ही फायदा होता है. और इसके साथ ही खेत का पानी खेत में ही रहता है. और बरसात के पानी को वह अच्छा इस्तेमाल कर लेते हैं, वाटर लेवल भी दुरुस्त रहता है.

खेती के लिए कुछ सयंत्र खुद बनाए
शंकर लाल प्रजापति खेती करते करते उसमें इनोवेशन करना भी पसंद करते हैं. 67- 68 साल की उम्र है, लेकिन जिस तरह से आधुनिक खेती करते हैं और हर संयंत्र का इस्तेमाल करते हैं वो काबिले तारीफ है. शंकर लाल प्रजापति ने अपने खेत में ही सिंचाई के लिए ऐसा संयंत्र लगा रखा है, जो पूरी तरह से मोबाइल से कमांड होता है. और उस मोबाइल के कमांड से वो सिंचाई को कंट्रोल करते हैं, उनका कहना है कि जब बारिश हो, लाइट बिजली ना हो, अंधेरा हो, खेतों में बहुत चारा हो, तो वहां कौन जाएगा. ऐसे में मोटर को बंद करना उसे कंट्रोल करना मोबाइल के माध्यम से हो जाता है. पानी खत्म हो जाना या सिंचाई पूरी हो जाने का भी कमांड मोबाइल से देते हैं. इसके लिए उन्होंने इंदौर से स्पेशल मशीन को मंगवाया है, जिसे मोबाइल स्टार्टर कहते हैं. इसके अलावा शंकर लाल प्रजापति कहते हैं कि उन्होंने एक खुद से मार्कर भी तैयार किया है, जो खेती में बहुत काम आता है. कहते हैं कि जब नियम से खेती करो वैज्ञानिक पद्धति से तो उसमें फसलों के बीच में तय डिस्टेंस होना चाहिए इसके लिए कई तरह के संयंत्र आते हैं, लेकिन शंकर लाल प्रजापति कहते हैं कि वो भी अच्छे से काम नहीं कर रहे थे. इसलिए उन्होंने खुद के दिमाग से एक मार्कर संयंत्र तैयार किया, जिसमें 25-25 सेंटीमीटर का डिस्टेंस बन जाता है, और आसानी से उनका काम हो जाता है। फिर चाहे आप कोई भी फसल लगाएं. इसके अलावा एक स्प्रे मशीन भी तैयार किया है, जिसमें खाद डालना हो किसी भी तरह की फसल में दवाई डालनी हो, तो स्प्रे मशीन में दवाई डिब्बे में भरकर उसे चालू कर दें और पूरे फसल पर स्प्रे कर सकते हैं. इससे ये फायदा मिलता है कि दवाई डालने के लिए जो एक बैग पीठ पर रखी जाती थी उससे निजात मिलती है और एक क्रम से 25 सेंटीमीटर की डिस्टेंस वाला उन्होंने बूम स्प्रेयर बनाया है जो बहुत काम का है और उसी से वो अपने खेतों में दवाई या फिर पानी का छिड़काव करते हैं. उनके इस इनोवेशन को देखकर हर कोई हैरान रहता है.

दूसरों के लिए एक मिसाल
पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी अखिलेश नामदेव कहते हैं कि उनकी खेती के स्टाइल और खेती के प्रति उनके रुझान को देखकर, जिस तरह से इस उम्र में भी खेती के लिए वह जी जान से मेहनत करते हैं वह काबिले तारीफ है और दूसरों के लिए मिसाल भी है. अखिलेश नामदेव कहते हैं कि उन्होंने अपने खेत में ही वाटर कंजर्वेशन का एक नया सेटअप तैयार कर रखा है, जिससे ना केवल खेत के पानी को खेत में ही रोककर सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उनके पास रहता है, बल्कि मछली पालन करके भी कमाई कर रहे हैं. इसके अलावा वाटर लेवल भी उनके खेतों का बना रहता है. इतना ही नहीं, जिस तरह से नए-नए संयंत्र खुद से ही इजाद कर रहे हैं और खेती को आसान बना रहे हैं वह भी काबिले तारीफ है, इससे दूसरे किसान भी लाभान्वित होते हैं.

Last Updated : Nov 6, 2021, 10:45 PM IST

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