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Horrible Hospital 2020: सालभर सुर्खियों में रहा शहडोल जिला अस्पताल, बच्चों की मौत के बाद भी नहीं जागा सिस्टम

शहडोल जिला चिकित्सालय पहले ही बच्चों की मौतों के चलते सुर्खियों में है. मौत के आंकड़ों पर नजर डालें तो शहडोल जिले में 26 नवंबर से लेकर अब तक 30 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस मामले में जब नए सीएमएचओ से सवाल पूछा गया तो उन्होंने गोल-मोल जवाब दिया. उन्होंने सभी बच्चों की मौतों को नेचुरल डेथ बताया. अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं ठीक होने का दावा भी किया. मौजूदा स्थिति में कोई समस्या नहीं है और सब ठीक होने के दावे हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

Shahdol District Hospital
शहडोल जिला अस्पताल

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Published : Dec 29, 2020, 5:25 PM IST

Updated : Dec 29, 2020, 8:58 PM IST

शहडोल।जिला चिकित्सालय बच्चों की मौतों के चलते लगातार सुर्खियों में रहा. मौत के आंकड़ों पर नजर डालें तो शहडोल जिले में 26 नवंबर से लेकर अब तक कुल 30 बच्चों की मौत हो चुकी है. हालांकि इस मामले में नए सीएमएचओ गोल-मोल जवाब देते हुए नजर आए थे. क्योंकि उनके पास इसे क्रॉस करने के लिए तर्क नहीं थे. उनकी माने तो सभी बच्चों की मौत नेचुरल थी. लेकिन दावों से इतर शहडोल जिला चिकित्सालय साल 2020 में Horrible Hospital के रुप में कुख्यात रहा. साल की शुरुआत से ही यहां बच्चों की मौत का सिलसिला शुरु हुआ लेकिन मामले ने तूल पकड़ा 2020 के अंत में. साल खत्म होते-होते शहडोल जिला चिकित्सालय बच्चों की सिलसिलेवार तरीके से मौत के मामले को लेकर पूरे देश में सुर्खिया बटोरी मगर बदनामी की. इस दौरान जिला चिकित्सालय में एक नहीं बल्कि दो बार सीएमएचओ और सिविल सर्जन को प्रभारी पद से हटाया गया. यह साल एक बुरी यादों के साथ विदा ले रहा है.

मौत के अस्पताल

बच्चों की मौत लेकिन जिम्मेदारी किसी की नहीं!

शहडोल जिला चिकित्सालय एक ऐसा जिला चिकित्सालय है, जहां संभाग से ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों से लोग आते हैं. चिकित्सालय में बच्चों की मौत को लेकर प्रदेश में जमकर राजनीति हुई, तो वहीं दूसरी ओर दिसबर महीने में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की निरंकुशता भी एक बार फिर से देखने को मिली. तमाम हंगामें और मौतों के बाद भी जिम्मेदार कौन? ये बड़ा सवाल बना रहा.

बच्चों की मौत को लेकर इस दौरान राजनीति भी जमकर गरमाई, जहां एक ओर कांग्रेस लगातार बीजेपी को निशाने पर ले रही थी तो वहीं दूसरी ओर इस पूरे घटनाक्रम में स्वास्थ्य मंत्री के दौरे से पहले बीजेपी का कोई भी जनप्रतिनिधि शहडोल जिला चिकित्सालय का निरीक्षण करने नहीं पहुंचा था. इस बात को लेकर भी कांग्रेस लगातार बीजेपी पर निशाना साधती रही. शहडोल संभाग से दो-दो मंत्री, विधायक सांसद आखिर कहां हैं? कुल मिलाकर राज्य सरकार और उनके जनप्रतिनिधियों की निरंकुशता भी एक बार फिर से देखने को मिली.

जनवरी में आया था बच्चे की मौत का मामला

साल 2020 के जनवरी महीने में जब 24 घंटे के अंदर 6 बच्चों की मौत हुई थी तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. उस दौरान जमकर बवाल मचा. आलम यह था कि आनन-फानन में शहडोल जिला चिकित्सालय में एक नहीं बल्कि तीन-तीन मंत्रियों का दौरा हुआ. खुद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भी हेलीकॉप्टर से शहडोल जिला चिकित्सालय का निरीक्षण करने पहुंचे थे और सीएमएचओ और सिविल सर्जन को उसी समय प्रभार से हटा दिया गया. मगर हालात साल के आखिर में भी जस का तस ही बना रहा.

शहडोल जिला अस्पताल
2020 साल की शुरुआत और अंत दोनों बुरे

नवंबर और दिसंबर में साल खत्म होते-होते एक बार फिर से ठीक वैसा ही हंगामा अस्पताल में मचा. इस बार तो शहडोल जिला चिकित्सालय बच्चों की कब्रगाह बन गया. आलम यह रहा कि 26 नवंबर से लेकर 16 दिसंबर तक सिलसिलेवार तरीके से 25 बच्चों की मौत हुई. पूरे देश की मीडिया की नजरें यहां पर आ टिकी. आलम यह रहा कि शहडोल जिला चिकित्सालय का निरीक्षण करने के लिए खुद स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी को शहडोल जिला चिकित्सालय आना पड़ा और इस दौरान शहडोल जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन और सीएमएचओ को एक बार फिर से प्रभार से हटाया गया.

बच्चों की मौत को लेकर बहुत कुछ कहते हैं आंकड़े

जिला चिकित्सालय में औसतन हर दिन एक बच्चे की मौत हो रही है. साल 2020 में ज्यादा नहीं पिछले 8 महीने अप्रैल से नवंबर तक के आंकड़ों पर ही नज़र डालें तो इस दौरान ही 362 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. सबसे ज्यादा 262 बच्चों की मौत नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई एसएनसीयू में हुई तो 100 से ज्यादा बच्चों ने बाल गहन चिकित्सा इकाई पीआईसीयू में इलाज के दौरान दम तोड़ा. इनमें से किसी एक बच्चे की भी मौत की जिम्मेदारी किसी चिकित्सक और जिला चिकित्सालय प्रबंधन ने नहीं ली. जिम्मेदारी डाली गई हालात व परिजनों पर जागरूकता के अभाव व विलंब से गंभीर अवस्था में लाने पर.

शहडोल जिला अस्पताल
अप्रैल से नवंबर तक के आंकड़े
  • अप्रैल में 149 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 30 की मौत हुई.
  • मई महीने में 185 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें 31 की मौत हुई
  • जून महीने में 183 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें 34 की मौत हुई
  • जुलाई महीने में 239 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें 39 की मौत हुई
  • अगस्त महीने में 181 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें 30 की मौत हुई
  • सितंबर महीने में 210 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें 43 की मौत हुई
  • अक्टूबर महीने में 180 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें 31 की मौत हुई
  • नवंबर महीने में 189 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें 24 की मौत हुई
  • इस दौरान टोटल 1516 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें 262 लोगों की केवल एसएनसीयू में मौत हुई है.

पीआईसीयू में 7 माह में भर्ती बच्चे और मौत का आंकड़ा

  • अप्रैल महीने में 64 बच्चे भर्ती हुए, 7 की मौत
  • मई महीने में 65 बच्चे भर्ती हुए, 4 की मौत
  • जून महीने में 67 बच्चे भर्ती हुए, 11 की मौत
  • जुलाई महीने में 81 बच्चे भर्ती हुए, 9 की मौत
  • अगस्त महीने में 79 बच्चे भर्ती हुए, 10 की मौत
  • सितंबर महीने में 104 बच्चे भर्ती हुए, 28 की मौत
  • अक्टूबर महीने में 113 बच्चे भर्ती हुए, 29 की मौत
  • इस दौरान पीआईसीयू में टोटल 573 बच्चे भर्ती हुए, 98 बच्चों की जिसमें मौत हुई.

साल की खट्टी-मीठी यादें

आमजन की मदद के लिए आगे खड़े रहने वाले समाजसेवी सुशील सिंघल कहते हैं, कि शहडोल जिला चिकित्सालय ने यूं तो देखा जाए तो मौजूदा साल में भी कई आयाम स्थापित किए हैं. बच्चों की मौत से इतर लोगों का बढ़िया इलाज भी हो रहा है. कुछ मौतें उसमें सामान्य भी हो सकती हैं लेकिन कुछ असामान्य भी रहीं. कहीं प्रशासन की कमी रही कहीं चिकित्सा सुविधाओं की कमी थी. इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी साल 2020 में भी बनी रही. हमने ऐसा एक बार नहीं बल्कि 2 बार देखा कि सीएमएचओ और सीएस को बदला गया. वैसे इस बदलाव की वजह से फायदा होता तो नजर नहीं आया. लेकिन नए अधिकारियों ने थोड़ी सुविधाएं घटनाओं की वजह से ही सही लेकिन बढ़ीं. यह साल कई खट्टी मीठी यादें देकर जा रहा है.

Last Updated : Dec 29, 2020, 8:58 PM IST

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