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MP के 'देसी लोग-देसी डॉग' बने बेजुबानों का फरिश्ता, जानकर दंग रह जाएंगे इनके कारनामे

शहडोल में गौ सेवा के काम में जुटे युवाओं की बड़ी पहल, बेजुबानों की जुबान बनकर सामने आए देसी 'देसी लोग-देसी डॉग'. जानिए कौन हैं ये देसी लोग जो कर रहे हैं देसी डॉग के तौर पर काम और कहां इन्होने बनाया है अपना ठिकाना.

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MP के देसी लोग-देसी डॉग बने बेजुबानों का फरिश्ता

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Published : Jan 28, 2022, 11:49 PM IST

शहडोल। अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान कई सालों से गौ वंश की सेवा कर रहा है. अब इस संस्थान ने देसी लोग, देसी डॉग की नई थीम के साथ एक और नेक काम शुरू किया है. अब संस्थान गौ वंश के रेस्क्यू के साथ ही अपने सेंटर में उन स्ट्रीट डॉग्स का इलाज भी कर रहा है, जो लावारिस हैं. जिन डॉग्स का रेस्क्यू किया जाता है, उनके इलाज के साथ ही खाने की व्यवस्था और देखभाल भी की जा रही है. ये संस्थान जिला मुख्यालय से सटे कल्याणपुर में स्थित है, जहां अब सैकड़ों गौ वंशों के साथ ही बेबस लाचार अपाहिज बीमार स्ट्रीट डॉग्स भी मिल जाएंगे.

बेजुबानों के लिए देसी लोग-देसी डॉग

गौ सेवक युवाओं की नई पहल

अटल संस्थान शहडोल में अपनी एक अलग पहचाना बना चुका है. ये संस्थान कई सालों से गौ वंशों की सेवा कर रहा है. चाहे कहीं से भी गौ वंश का रेस्क्यू करना हो, या फिर रेस्क्यू सेंटर लाकर उनका इलाज करना और उनकी देखरेख करना. अब इस संस्थान की टीम लावारिस, बेबस स्ट्रीट डॉग्स की सेवा में जुट गई है. युवाओं की टीम पहले स्ट्रीट डॉग्स का रेस्क्यू करती है फिर संस्थान में लाकर उनका इलाज और देखरेख. स्ट्रीट डॉग्स का समय-समय पर इलाज और ड्रेसिंग होती है, साथ ही खाने का इंतज़ाम और देखभाल की पूरी व्यवस्था है.

अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान शहडोल

युवाओं की थीम 'देसी लोग-देसी डॉग'

अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान के फॉउंडर मेंबर गौरव राही मिश्रा ने बताया कि उनके साथ संस्थान की युवा टीम गौ सेवा की तरह अब स्ट्रीट डॉग्स के लिए भी एक नई पहल कर रही है. गौरव ने बताया कि वो पहले भी स्ट्रीट डॉग्स का रेस्क्यू करते थे, लेकिन पहले उन्हें रखने की जगह नहीं थी, संसाधन नहीं थे. इसलिए संस्थान में लाकर इलाज नहीं करते थे, बल्कि वहीं पर उनका इलाज कर दिया जाता था. लेकिन अब जो भी एक्सीडेंटल केस आते हैं या ज्यादा गंभीर बीमार स्ट्रीट डॉग्स मिलते हैं. जिन्हें देखरेख की जरूरत होती है, उन्हें गौवंश की तरह ही रेस्क्यू करके संस्थान में लाया जाता है और फिर उनकी सेवा की जाती है.

शहडोल युवा कर रहे गोवंश और स्ट्रीट डॉग की सेवा

सुबह शाम उनका इलाज किया जाता है, समय से ड्रेसिंग की जाती है. जब वो ठीक हो जाते हैं, तो अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान ने ऐसे स्ट्रीट डॉग्स के लिए नई पहल शुरू की है. जिसके तहत वो 'देसी लोग-देसी डॉग'के स्लोगन के साथ लोगों से उनके घर जाकर अपील करते हैं कि इन लावारिस स्ट्रीट डॉग्स को अपने घर में आश्रय दें. धीरे-धीरे इसमें सफलता भी मिल रही है, कुछ लोग इस संस्थान से ठीक होने के बाद देसी स्ट्रीट डॉग्स को अडॉप्ट रहे हैं.

शहर में स्ट्रीट डॉग्स के लिए बिछौने का किया इंतज़ाम

संस्थान से जुड़े युवाओं ने बताया कि इस साल से उन्होंने स्ट्रीट डॉग्स के लिए एक नई पहल भी शुरू की है. जिसके तहत ठंड के सीजन में जगह-जगह उनके लिए बिछौने का इंतजाम किया, जिससे ठंड में उनको एक सहारा मिल सके. इसके अलावा वह घर-घर जाकर लोगों से अपील भी कर रहे हैं कि जिनके घरों के बाहर ऐसे स्ट्रीट डॉग्स बैठते हैं, कम से कम उन्हें दो वक्त की रोटी दें क्योंकि इतना खाना अक्सर घरों में बच जाता है. जिससे ऐसे बेसहारा, बेबस और लाचार स्ट्रीट डॉग्स का सहारा बन सके और उनका पेट भर सकें.

अटल संस्थान में बेजुबानों के रखरखाव की सूची

युवाओं ने कहा सेवा भावना होनी चाहिए

संस्थान के युवाओं से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने जाना कि कैसे वह पढ़ाई और निजि कामों के साथ-साथ ये सेवा कार्य, सब कुछ कर लेते हैं. तो युवा सेवक रूपेश मिश्रा ने बताया कि मन में सेवा भावना होनी चाहिए, सब कुछ अपने आप हो जाता है. यह सेवा करके वो बहुत खुश रहते हैं, उन्हें एक अलग ही आत्म संतुष्टि मिलती है. अटल कामधेनु सेवा संस्थान द्वारा की गई पहल काबिल-ए-तारीफ है. रूपेश की अपील है कि अगर आपके घर के आसपास भी ऐसे स्ट्रीट डॉग हैं, तो आप भी उन्हें आश्रय दें औऱ दो वक्त का खाना देकर नेक काम करें. देखिएगा आपको भी बहुत अच्छा लगेगा.

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