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शहडोल में कुपोषण के खिलाफ जंग: कलेक्टर घर-घर जाकर कर रहीं जागरूक, बच्ची ने ऐसे जीती कुपोषण से जंग

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Published : Apr 1, 2022, 1:20 PM IST

शहडोल में कुपोषण को लेकर जिला प्रशासन गंभीर दिख रहा है. कलेक्टर खुद आदिवासी बाहुल्य इलाके में जाकर कुपोषित बच्चों को एनआरसी सेंटर लाने के लिए समझा रही हैं. उनकी पहल पर एक गंभीर कुपोषित बच्ची सुपोषित हुई है, उसका वजन 3 किलो से बढ़कर 5 किलो हो गया है. (Malnutrition in Shahdol)

Shahdol administration serious about malnutrition
कुपोषण पर शहडोल प्रशासन गंभीर

शहडोल। आदिवासी बाहुल्य जिला आज भी कुपोषण से जंग लड़ रहा है. जिला प्रशासन भी इसके खात्मे के लिए जुटा हुआ है. कलेक्टर वंदना वैद्य भी काफी सक्रिय हैं. वह खुद आदिवासी बाहुल्य इलाके में जा रही हैं और कुपोषित बच्चों को एनआरसी सेंटर लाने के लिए समझा भी रही हैं. जिसका असर भी देखने को मिल रहा है. कलेक्टर की पहल से एक गंभीर कुपोषित बच्ची सुपोषित हुई है. जिसके बाद परिवार ने कलेक्टर का आभार माना.

कलेक्टर की सराहनीय पहल :जनपद पंचायत ब्यौहारी के ग्राम आखेटपुर में 16 दिसम्बर 2020 को जन्मी प्रभा बसोर पिता भगवानदास बसोर जन्म से ही कुपोषित थी. जिस पर शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य ने गांव का भ्रमण किया और बच्ची के माता-पिता को पोषण आहार खिलाने, उसकी देखभाल करने की जानकारी दी और उसे एनआरसी केन्द्र में भर्ती कराने के लिए परिवार को समझाया. उनकी बात सुनकर बच्ची को एनआरसी केन्द्र में भर्ती कराया.

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3 किलो से 5 किलो हुआ बच्ची का वजन: जब बच्ची को एनआरसी केंद्र में भर्ती कराया गया था तब उसका वजन 3 किलो था. वहां उसे पर्याप्त मात्रा में पोषण आहार दिया गया और उसका खास ख्याल रखा गया. नतीजा यह है कि आज बच्ची सुपोषित हो चुकी है. पहले से ज्यादा स्वस्थ रहने लगी और उसका वजन अब 5 किलो से अधिक हो चुका है. आदिवासी बाहुल्य जिला होने के चलते शहडोल में कुपोषित बच्चों को एनआरसी सेंटर में भर्ती कराने में प्रशासनिक अमले को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है.

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