शहडोल। शहडोल जिला चिकित्सालय में सिलसिलेवार तरीके से हो रही बच्चों की मौत का मामला लगातार सुर्खियों में है. इसी बीच अब शहडोल जिले के बुढ़ार अस्पताल की लापरवाही का मामला भी सामने आया है. जहां एक प्रसूता को जिला अस्पताल रेफर किया गया था लेकिन उसे सरकारी वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया. जिसके बाद परिजन गर्भवती महिला को ऑटो से शहडोल जिला अस्पताल 20 किलोमीटर दूर ले कर जा रहे थे. लेकिन रास्ते में लेबर पेन होने की वजह से महिला की बीच राह में ही डिलीवरी करानी पड़ी. डिलीवरी के दौरान बच्चा फंस गया था. किसी तरह से बच्चे को बाहर निकाला और जब जज्जा बच्चा को जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे तो वहां डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. वहीं अब इस मामले में अब कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने लापरवाही बरतने पर बीएमओ सचिन कारखुर को पद से हटा दिया है.
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शहडोल जिला अस्पताल में अभी नवजातों की मौत के मामले की जांच पूरी भी नहीं हुई कि अब बुढ़ार अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां प्रसूता को रेफर करने के दौरान एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई, तो परिजन ऑटो से महिला को लेकर जिला अस्पताल 20 किलोमीटर दूर ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में हालत बिगड़ने की वजह से डिलीवरी करानी पड़ी. इस दौरान बच्चे की मौत हो गई.
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दरअसल प्रसव पीड़ा के बाद साबो बस्ती निवासी समसुद्दीन पत्नी रेहनतुन निशा को शनिवार सुबह बुढ़ार अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टर्स ने सामान्य जांच करते हुए गर्भवती महिला को शहडोल जिला अस्पताल रेफर कर दिया. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने वाहन नहीं दिया. एंबुलेंस नहीं मिली, तो परिजन महिला को ऑटो से 20 किलोमीटर दूर शहडोल जिला चिकित्सालय ला रहे थे. समसुद्दीन ने बताया कि पत्नी को ऑटो से ला रहे थे. जहां लालपुर के नजदीक पत्नी को लेबर पेन होना शुरू हो गया. जिस वजह से रास्ते में रोककर ही महिला की डिलीवरी करानी पड़ी.