शहडोल। शहरी गरीबों का एक बड़ा हिस्सा चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्भर करता है. शहडोल जिले में स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र का क्या हालात हैं, क्या वहां सभी जरूरी चीजें उपलब्ध है. जिससे मरीजों को समुचित इलाज समय पर मिल सके. कोविड-19 महामारी ने चिकित्सा प्रणाली को सबसे बड़ी चुनौती दी है. इस दौरान क्या इन केंद्रों में सुविधाओं में कोई सुधार हुआ है. इसके जानने के लिए ईटीवी भारत शहडोल जिला मुख्यालय स्थित यूएचसी केंद्र का रियलिटी चेक करने पहुंचा. जिससे यह पता चल सके कि यहां स्टाफ, दवा वितरण और उपकरणों की क्या स्थिति है. लैब की स्थितियों में कुछ सुधार आया है या नहीं.
शहरी स्वास्थ्य केन्द्र की स्थित
शहडोल जिला स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इन दिनों सुर्ख़ियों में है. अस्पताल और वहां के इलाज को लेकर जिस तरह से जिला चिकित्सालय में बच्चों की मौत हो रही है. उसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है. शहडोल जिला चिकित्सालय संभागीय मुख्यालय का जिला चिकित्सालय है जहां शहडोल ही नहीं बल्कि शहडोल संभाग समेत मंडला, डिंडोरी जनकपुर छत्तीसगढ़ से भी लोग मरीज लेकर यहां पहुंचते हैं. ऐसे में अक्सर शहडोल जिला चिकित्सालय में मरीजों का काफी दबाव देखने को मिलता है. इन हालातों में शहडोल जिला मुख्यालय में स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र भी काफी अहम हो जाते हैं. क्योंकि इस बढ़ती भीड़ के बीच प्राइमरी इलाज के लिए शहरी स्वास्थ्य केंद्र यूएचसी का भी एक बड़ा रोल हो जाता है.
क्या हैं यहां के हालात?
शहरी स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति जानने के लिए फार्मासिस्ट रमेश कुमार शुक्ला से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां बच्चों का टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण और महिलाओं की जांच की जाती है. साथ ही सर्दी,खांसी बुखार के मरीज का समुचित इलाज किया जाता है और उन्हें दवाइयां दी जाती है. उनका कहना है कि इस शहरी स्वास्थ्य केंद्र में करीब हर दिन 60 से 70 मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं. डॉक्टर की स्थिति को लेकर बताया कि एक शेफाली बारिया महिला डॉक्टर पदस्थ हैं और एक मेडिकल कॉलेज से महिला डॉक्टर लक्ष्मी यादव यहां ड्यूटी देती हैं.