मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

82 साल की उम्र में भी बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक मैथलीशरण गुप्त, राष्ट्रपति पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित

शहडोल जिले के धनपुरी गांव में रहने वाले शिक्षक मैथलीशरण गुप्त 82 साल की उम्र में भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं. रिटायरमेंट के बाद बच्चों को पढ़ाने की उनकी ललक नहीं छूटी. इसलिए वह बेहद कम फीस पर एक प्राइवेट स्कूल के जरिए बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं.

shahdol
शहडोल न्यूज

By

Published : Sep 4, 2020, 1:34 PM IST

Updated : Sep 6, 2020, 10:19 AM IST

शहडोल।जिस उम्र में लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं, उस उम्र में शहडोल में रहने वाले शिक्षक मैथलीशरण गुप्त रिटायरमेंट के बाद भी बच्चों को पढ़ाने में जुटे हैं. जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. आज भी इनकी उम्र और इनके हौसले को देखकर ऐसा लगता नहीं है कि ये शिक्षक 82 साल की उम्र पार कर चुके हैं.

82 साल की उम्र में भी बच्चों पढ़ा रहा यह शिक्षक

शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 25 से 30 किलोमीटर दूर धनपुरी में रहने वाले शिक्षक मैथिलीशरण गुप्त वैसे तो अपने दौर में सरकारी शिक्षक थे. लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी उनकी बच्चों को पढ़ाने की ललक नहीं छूटी. मैथिलीशरण गुप्त बताते हैं कि पिछले 73 साल से वह बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं और यह सिलसिला शुरू हुआ था जब वह 27 अक्टूबर 1957 को पहली बार सरकारी शिक्षक के तौर पर नियुक्त हुए थे.

रिटायरमेंट के बाद खोला खुद का स्कूल

धनपुरी में मैथिलीशरण गुप्त शिशु शिक्षा केंद्र नाम से एक प्राइवेट स्कूल संचालित करते हैं. वे इस स्कूल में पिछले कई साल से खुद भी पढ़ा रहे हैं तो उनके परिवार के लोग भी इस काम में उनका साथ देते हैं. केजी वन से लेकर दसवीं क्लास तक के इस प्राइवेट स्कूल में हर वर्ग के छात्रों का एडमिशन होता है. जिनकी फीस बेहद कम होती है. मैथिलीशरण गुप्त कहते है कि बच्चों को पढ़ाने की वजह से वह आज भी खुद को बेहद यंग महसूस करते हैं.

राष्टपति पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित

मैथिलीशरण गुप्त की यह इच्छा शक्ति ही थी, यह हौसला ही था की उन्हें 1998 का राष्ट्रपति पुरस्कार भी दिया गया था. इतना ही नहीं इनके पढ़ाये हुए तीन छात्रों को भी राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

राष्ट्रपति से अवार्ड लेते शिक्षक मैथलीशरण गुप्त

एक शिक्षक के लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है. मैथिलीशरण गुप्त खुद कहते हैं कि एक शिक्षक को तब बहुत ज्यादा खुशी होती है जब उसका छात्र उसे हरा दे उससे आगे निकल जाए और उन्हें तब ज्यादा खुशी हुई थी जब उनसे पहले उनके छात्र राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हुए.

Last Updated : Sep 6, 2020, 10:19 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details