शहडोल। बदलते दौर में जहां ज्यादा फसल उत्पादन के लिए किसान रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने से झिझक नहीं करते हैं, वहीं दूसरी ओर इस दौर में भी कुछ आदिवासी गांव ऐसे हैं, जहां आज भी किसान रासायनिक खाद से दूरी बनाकर रखे हैं. घर में ही जैविक खाद बनाकर खेती करते हैं और बंपर उत्पादन भी कर रहे हैं. इतना ही नहीं इस दौर में जैविक खेती करने से उन किसानों की फसलों की डिमांड भी बहुत ज्यादा रहती है. इन किसानों को महंगाई के दौर में खेती में लागत भी कम लगती है. किसान बताते है कि जैविक खेती किसानों के लिए बहुत ही फायदे का सौदा है, सभी किसान इसको इम्प्लीमेंटेशन कर ले तो किसानी भी लाभ का धंधा बन जाएगी.
जैविक खाद इन किसानों के लिए बना वरदान
श्यामडीह कला गांव के रहने वाले आदिवासी किसान राजू सिंह मार्को अपनी छोटी सी जमीन पर हर सीजन की खेती करते हैं. धान भी लगाते हैं, गेहूं भी लगाते हैं, समय-समय पर दलहन और तिलहन की खेती भी करते हैं, साथ में सब्जियां भी उगाते हैं. राजू सिंह मार्को बताते हैं कि उन्होंने अब तक रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया हैं, घर में ही गोबर गैस बना रखा है. जिससे गैस का उत्पादन भी होता है. गोबर गैस से निकले हुए खाद का इस्तेमाल जैविक खाद के तौर पर करते हैं.
वर्मी कंपोस्ट खाद भी तैयार करके है किसान
राजू सिंह मार्को बताते हैं कि साल में वह तीन से चार बार वर्मी कंपोस्ट खाद (Vermi Compost Manure) भी बनाते हैं. उसके लिए बकायदा उन्होंने 2 टेंक बना रखे हैं, जिसमें वह वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार करते हैं. जो उनके खेतों के लिए पर्याप्त हो जाता है. राजू सिंह मार्को कहते हैं कि जैविक खेती की वजह से उनकी फसलों की अच्छी खासी डिमांड भी रहती है. जो लोग जानते हैं, वह घर से ही सब्जियां ले जाते हैं.
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मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहती है
किसान बताते हैं कि वे अपने आसपास की चीजों से ही जैविक खाद बना लेते हैं. जिससे लागत भी कम लगती है, उनके खेतों की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहती है. किसान कहते हैं कि इन दिनों रासायनिक खाद के रेट बहुत ज्यादा है. उन्हें खरीदों फिर खेतों में डालो, उससे उनकी खेती की लागत भी बढ़ जाती है, जिससे उन्हें उतना मुनाफा नहीं मिल पाता. जबकि इस दौर में जैविक खेती की डिमांड है. अगर आप जैविक खेती करते हैं तो आप की फसलों को गुणवत्ता युक्त माना जाता है.