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Published : Oct 31, 2022, 10:40 PM IST

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MP 67th Foundation Day: अब तक आदिवासियों की कितनी बदली जिंदगी, देखिए ETV Bharat की ग्राउंड रिपोर्ट

1 नवंबर यानी की आज मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस है. साल 1956 में गठन के बाद राज्य को बने 66 साल हो गए हैं. आइए ईटीवी भारत आपको बताएगा की आदिवासी जिलों में अब तक कितने बदलाव हुए हैं. ईटीवी भारत ने शहडोल के आदिवासी ग्रामीणों से बात की जहां उन्होंने बहुत कुछ बताया. (MP Foundation Day) (1 november MP Sthapana Diwas) (MP 67th Foundation Day)

1 november mp sthapana diwas
1 नवंबर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस

शहडोल। आज एक नवंबर को मध्य प्रदेश अपना 67वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस दिन को प्रदेश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ उत्साह के साथ मनाया जाता है. शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, ऐसे में मध्य प्रदेश के नया राज्य बनने के बाद से इतने सालों में यहां के आदिवासियों की जिंदगी कितनी बदली है, उन में कितना बदलाव देखने को मिला है इसे जानने के लिए ईटीवी भारत ने कई ग्रामीण आदिवासियों से बात की. ऐसे लोगों से बात की जो समाज में एक अलग स्थान रखते हैं समाज से काफी जुड़े हुए हैं. (MP Foundation Day) (1 november MP Sthapana Diwas) (MP 67th Foundation Day)

मध्य प्रदेश का 67वां स्थापना दिवस

जानिए ग्रामीणों ने क्या कहा:मध्य प्रदेश के नया राज्य बनने के बाद से आदिवासियों में कितना बदलाव हुआ है इसे जानने के लिए हमने जिले के अलग-अलग गांव के कई ग्रामीणों से बात की. कुछ बुजुर्गों से बात किया कुछ युवाओं से बात किया. गांव के कुछ पूर्व सरपंच से बात किया. इस दौरान अलग-अलग बातें सामने आई. जिले के ब्यौहारी ब्लॉक क्षेत्र के ग्रामीण जिनकी उम्र खुद 60 वर्ष हो चुकी है, उनका मानना है कि आदिवासियों के बीच में इतने सालों में काफी कुछ बदलाव आया है. लोग पढ़ भी रहे हैं, नौकरियां भी मिल रही हैं, योजनाओं के लाभ भी मिल रहे हैं. पहले लोग मजदूरी के लिए मजबूर हुआ करते थे. अब खुद का काम कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह बात भी जरूर कही कि काम के मौके तो मिल रहे हैं, लेकिन मन में इच्छा शक्ति होनी चाहिए. अगर कोई कुछ नहीं करना चाहता है तो फिर उनका क्या कर सकते हैं.(MP 67th Foundation Day) (67th Foundation Day of Madhya Pradesh)

मध्य प्रदेश स्थापना दिवस

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कुछ जगहों पर हुआ बदलाव, कुछ का नहीं:आदिवासी समाज में अलग पैठ रखने वाले कुछ और लोगों से जब हमने बात की तो उनका मानना है कि, जिस हिसाब से इतने सालों में आदिवासी समाज में बदलाव होना चाहिए था, आदिवासियों का विकास होना चाहिए था उस गति से नहीं हुआ है. हालांकि, उनका भी मानना है कि ऐसा नहीं है कि बहुत कुछ नहीं बदला है, बहुत कुछ बदला है, लेकिन जिस गति से बदलना चाहिए था, वह नहीं हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार योजनाएं तो बेहतर बना रही है, लेकिन उसकी मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है. यह तय करना होगा कि समाज के आखिरी व्यक्ति तक योजना का लाभ आसानी से पहुंच पा रहा है या नहीं पहुंच पा रहा है. कुल मिलाकर आदिवासी समाज के ग्रामीणों का कहना है कि, सरकार को आदिवासियों के विकास की ओर उनके कल्याण की ओर ध्यान देना होगा. साथ ही जो भी योजनाएं चलती हैं उसकी मॉनिटरिंग बेहतर तरीके से हो, योजनाओं का लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक सही तरीके से आसानी से पहुंच सके. समाज का आखरी व्यक्ति भी उसका लाभ ले सके तो आदिवासी समाज के लोगों में कुछ वर्षों में काफी बदलाव भी देखने को मिल सकता है. (MP Foundation Day) (1 november MP Sthapana Diwas) (MP 67th Foundation Day)

अबतक आदिवासियों की कितनी बदली जिंदगी

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