मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

रहस्यों से भरा है कंकाली माता मंदिर का इतिहास, जानें क्यों माना जाता है तंत्र साधना का बड़ा केंद्र

शहडोल में कंकाली माता मंदिर की ख्याति तांत्रिक पीठ के रूप में है. मंदिर को लेकर कई किवदंतियां भी हैं. कहा जाता है कि कंकाली माता मंदिर आने वाले हर शख्स को देवी से जुड़े चमत्कारों को मानना पड़ता है. इस मंदिर की प्रसिद्धि को आप इस तरह से समझ सकते हैं कि अफसर हो या मंत्री, नेता हो या अभिनेता, जो भी शहडोल जिले में आता है, वह माता का दर्शन करने एक बार जरूर जाता है.

Kankali Mata Temple
कंकाली माता मंदिर

By

Published : Mar 22, 2023, 5:27 PM IST

शहडोल। जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर अंतरा गांव में मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली कंकाली माता का मंदिर है. यहां माता का दर्शन करने के लिए हर दिन भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रि में तो भक्तों का हुजूम ही उमड़ पड़ता है. कंकाली माता का मंदिर आसपास के क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है. यहां रहने और आने वाला हर व्यक्ति नवरात्रि के इस पावन पर्व पर मां कंकाली का दर्शन करने जरूर जाता है.

कंकाली माता मंदिर

हर मनोकामना होती है पूर्ण:कंकाली माता काफी सिद्ध मानी जाती हैं. स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो इस मंदिर में जो भी मनोकामना मांगी जाए, वह पूरी होती है. मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही लाल कपड़े से बंधे नारियल नजर आते हैं. ये नारियल मंदिर प्रांगण में यूं ही नहीं बांधे गए हैं, बल्कि मां के सामने अर्जी लगाकर बांधे गए हैं. इनमें से कई नारियल फूट चुके हैं क्योंकि कई लोगों की मन्नतें पूरी हो चुकी हैं.

कंकाली माता मंदिर

नवरात्रि में होती है विशेष पूजा:ज्योतिषविद् पंडित श्रवण त्रिपाठी बताते हैं कि नवरात्रि में माता कंकाली मंदिर में विशेष पूजा होती है. इन 9 दिनों में मंदिर का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. बताया जाता है कि प्राचीन काल में मां कंकाली का मंदिर तंत्र पूजा का बहुत बड़ा केंद्र था. मां काली की आराधना अगर विधि-विधान से की जाए तो इन 9 दिनों में मनोवांछित फल मिलता है. सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

कंकाली माता मंदिर

Chaitra Navratri से जुड़ी ये खबरें जरूर पढे़ं...

कंकाली माता मंदिर

तंत्र साधना का बड़ा केंद्र:इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि 9वीं-10वीं शताब्दी में कलचुरी नरेशों ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. पहले ये 64 योगिनी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध था. राजा युवराज देव प्रथम और राजा कर्णदेव के आचार्य ने यहां चौसठ योगिनियों की स्थापना कराई थी. पहले यहां समय-समय पर तांत्रिक इकट्ठा हुआ करते थे. कालांतर में जब मंदिर ध्वस्त हो गया तो चौसठ योगिनियों की प्रतिमाएं इधर-उधर हो गईं. लगभग 20 प्रतिमाएं धुबेला म्यूजियम में स्थापित की गई हैं. 5 प्रतिमाएं कोलकाता म्यूजियम में रखी गई हैं. बाकी बची हुई मूर्तियां यहीं पर स्थापित हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details