शहडोल। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में खरीफ सीजन में बहुतायत में खेती की जाती है. जिले में ज्यादातर किसान वर्षा आधारित खेती करते हैं. जिले में सबसे ज्यादा बड़े रकबे में धान की खेती की जाती है. किसान जब खेती करता है उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है कि बीज का सिलेक्शन (Tips For Seed Sowing) कैसे करें. क्योंकि अलग-अलग तरह के खेत और मिट्टी होती है. कहीं पानी की अधिकता होती है तो कहीं पानी की कमी. ऐसे में किसान कंफ्यूज हो जाता है कि किस तरह की फसल किस खेत में लगाए, जिससे उसे बंपर उत्पादन मिले. ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट किसानों की इसी समस्या को हल करने वाली है. ईटीवी भारत ने बात की है एक्सपर्ट (Agricultural scientist Brij Kishore Prajapati) और कृषि वैज्ञानिक बृज किशोर प्रजापति से. आइये जानते हैं बीज सेलेक्शन को लेकर क्या कहते हैं बृज किशोर.
बीज का चयन कैसे करें किसान:कृषि वैज्ञानिक बृज किशोर प्रजापति ने बताया कि 'इस बार सामान्य बारिश का अनुमान है. जब किसान फसल लगाता है, तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अच्छी किस्म के बीज का चयन करें. अपनी जमीन के हिसाब से ही बीज का चयन करें. चाहे धान, सोयाबीन सहित कोई भी फसल हो. सही बीज सिलेक्शन इस बात पर निर्भर करता है किसानों के पास भूमि किस तरह की है. हल्की भूमि है या भारी भूमि. भारी भूमि मतलब काली मिट्टी किस के पास है. हल्की भूमि जिसमें रेत की मात्रा ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है शुरुआत में बारिश होती है और कई बार लेट हो जाती है. कई किसानों के पास जो भूमि होते हैं उसमें लगातार पानी भरा रहता है. इस कंडीशन में भी सही बीज का चयन करना जरूरी है'.
धान की फसल के लिए ये किस्म है काम की: कृषि वैज्ञानिक बृजकिशोर प्रजापति बताते हैं कि 'जिस भी किसान के खेत में पानी की उपलब्धता अगर 105 दिन की है. ऐसे किसानों के लिए सहभागी किस्म का धान (Paddy crop variety) बहुत ही अच्छा उत्पादन दे सकता है. ये किस्म लगभग 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे सकता है. जिन किसानों के पास थोड़ी मीडियम तरह की भूमि है. जैसे खेत में 110 से 120 दिनों तक पानी की उपलब्धता है उनके लिए जेआर 81 और जेआर 206 किस्में अच्छी हैं. एमटीयू 10-10 क्षेत्र में बहुत प्रचलित थी. क्योंकि वह 10 साल से ऊपर की हो गई थी. उसमें कीट व्याधि का प्रकोप ज्यादा होने की संभावना थी. जिसे देखते हुए इन दो किस्मों को इसे रिप्लेस करने के लिए ही लाया गया है. इन किस्मों को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University JNKVV Jabalpur) ने विकसित किया है. 2018-19 में इस बीज के किस्म को विकसित किया गया है'.
ऐसे करें तिलहन और दलहन का सिलेक्शन: बृजकिशोर प्रजापति ने कहा 'दलहन-तिलहन फसल की बात करें तो, सफेद दाने वाली तिल लगाना चाहते हैं पीकेडीएस 11 और 12 यह दो किस्म में लगा सकते हैं. इसी तरह बात करें अरहर की तो वो वो दलहन की फसल है. हमारे जिले में मुख्यत: इसकी भी अनुशंसा की गई है. जिसमें टीकेजी 501 किस्म बहुत ही अच्छी है. 155 से 160 दिनों में ये पक जाती है. किसान भाई इस किस्म को ले सकते हैं. इसके अलावा राजेश्वरी यह दूसरी किस्म 162 से 165 दिन की होती है. इस किस्म का चयन भी किसान कर सकते हैं. राजीव लोचन भी अरहर की किस्म है जो हमारे जिले में अच्छी है. ये बीज 150 से 180 दिनों के बीच होती है. इन तीनों में से किसी भी किस्म को किसान ले सकते हैं.