MP Seat Scan Jaitpur: विंध्य के इस आदिवासी सीट से कभी नहीं जीत पाई कांग्रेस, BJP का अभेद किला, क्या इस बार बदलेगा इतिहास, पढ़िए पूरा समीकरण - जैतपुर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण
आदिवासी बाहुल्य जिला शहडोल विंध्य क्षेत्र का अहम हिस्सा है, जिले में 3 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से जयसिंह नगर विधानसभा सीट का पूरा समीकरण तो आपको बता चुके हैं, आज बात करेंगे जैतपुर विधानसभा सीट की, यह सीट आदिवासी सीट है और सबसे बड़ी बात, इस सीट से बीजेपी को भी बड़ी उम्मीदें रहती हैं और कांग्रेस को भी उम्मीद है. आखिर इस विधानसभा सीट में ऐसा क्या है, जो दोनों ही पार्टियों की बढ़ा रही है धड़कनें, आखिर कैसा है जैतपुर विधानसभा सीट का पूरा समीकरण पढ़िए यह रिपोर्ट.
जैतपुर विधानसभा क्षेत्र
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Published : Jul 27, 2023, 6:40 PM IST
शहडोल। आदिवासी बाहुल्य इलाका है शहडोल जिला भले ही आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन इस जिले की एक अलग ही पहचान है, प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य देखना हो तो आपको शहडोल जिले से बेहतर कोई भी स्थान नहीं मिल सकता, जंगल, नदियां, तालाब यहां के धार्मिक स्थल अनायास ही आपका मन मोह लेंगे, आदिवासी समाज की संस्कृति की अद्भुत छटा यहां आपको देखने को मिलेगी, वैसे तो शहडोल जिले में 3 विधानसभा सीटें हैं, जयसिंहनगर, जैतपुर और ब्यौहारी विधानसभा सीट, ये तीनों ही सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. आज बात कर रहे हैं जैतपुर विधानसभा सीट की एक ऐसी विधानसभा सीट जहां इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में बहुत ही रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है और राजनीतिक गलियारों में इस विधानसभा सीट की चर्चा भी बहुत ज्यादा है.
वर्तमान में जैतपुर विधानसभा सीट:वर्तमान में जैतपुर विधानसभा सीट की बात करें तो जैतपुर विधानसभा सीट में भाजपा का कब्जा है, यहां पर भारतीय जनता पार्टी की महिला विधायक मनीषा सिंह विधायक हैं. मनीषा सिंह भाजपा की नई प्रत्याशी थी, जिन्होंने साल 2018 में भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बनी और जैतपुर सीट से ही चुन कर आईं.
जैतपुर में मतदाता
जैतपुर में मतदाता:शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा सीट में मतदाताओं की संख्या पर नजर डालें, तो यहां पर टोटल 2 लाख 42 हजार 767 मतदाता हैं, जो मतदान करेंगे, जिसमें से 1 लाख 23 हजार 329 पुरुष मतदाता हैं. 1 लाख 19 हजार 433 महिला मतदाता हैं, जबकि 5 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.
कब अस्तित्व में आई जैतपुर विधानसभा सीट:शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा सीट की बात करें तो साल 2008 से यह विधानसभा सीट अस्तित्व में आई, इसके पहले शहडोल जिले में ब्यौहारी, जयसिंहनगर और सोहागपुर विधानसभा सीटें आती थीं जिसमें सोहागपुर विधानसभा सीट जिले की सामान्य सीट हुआ करती थी, लेकिन जब नवीन परिसीमन हुआ उसके बाद सोहागपुर विधानसभा सीट को समाप्त कर 2008 में जैतपुर विधानसभा सीट का निर्माण किया गया, वर्तमान में यहां पर भाजपा विधायक मनीषा सिंह है.
क्या कहते हैं आंकड़े:जैतपुर विधानसभा सीट पर पिछले 3 चुनाव की बात करें तो साल 2008 में जैतपुर विधानसभा से भाजपा के जयसिंह मरावी जीत कर आए थे, जयसिंह मरावी ने यहां पर कांग्रेस की यशोदा सिंह को 14 हजार 346 वोट के अंतर से हराया था. इसके बाद साल 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो जैतपुर में एक बार फिर से 2013 के विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के जयसिंह मरावी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे, हालांकि यहां जीत का अंतर थोड़ा कम हुआ जय सिंह मरावी ने कांग्रेस के ललन सिंह को 11 हजार 206 वोट के अंतर से हराया.
2018 विधानसभा चुनाव
2018 विधानसभा चुनाव:साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां जैतपुर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी को बदला गया. भारतीय जनता पार्टी ने अपने दो बार के विजेता प्रत्याशी को बदल दिया और मनीषा सिंह नई महिला प्रत्याशी को मैदान पर उतारा. जहां मनीषा सिंह ने जीत दर्ज की. मनीषा सिंह ने कांग्रेस की उमा धुर्वे को हराया. बीजेपी को जैतपुर विधानसभा सीट में साल 2018 में 74 हजार 279 वोट मिले जबकी कांग्रेस को 70 हजार 063 वोट मिले और अन्य को 35, 880 वोट मिले. इस तरह से यहां भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच जीत में वोट का अंतर कम हुआ.
बीजेपी का अभेद किला जैतपुर, फिर क्यों है खतरा:शहडोल जिले का जैतपुर विधानसभा सीट आदिवासी सीट है और यह बीजेपी का मजबूत और अभेद किला है, मतलब यहां पर बीजेपी अब तक एक भी बार नहीं हारी है. साल 2008 में जब से अस्तित्व में ये विधानसभा सीट आई है, तब से यहां पर बीजेपी का ही कब्जा है. ऐसे में इस बार भी इस आदिवासी सीट पर बीजेपी को बहुत ज्यादा उम्मीद है कि एक बार फिर से वो यहां से जीत हासिल कर जीत का चौका लगाएगी, लेकिन कांग्रेस की उम्मीद है इस सीट पर इसलिए बढ़ रही है क्योंकि साल दर साल बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस सीट पर जीत का अंतर कम होता गया है.
पिछले तीन विधानसभा चुनाव
पिछले 3 चुनाव परिणाम: पिछले तीन चुनावों से यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच जीत का अंतर बड़ी तेजी के साथ घटता जा रहा है. जो कांग्रेस के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आ रही है, तो वहीं बीजेपी के लिए चिंता का विषय भी है कि कहीं उसके अभेद किले पर कांग्रेस इस बार के चुनाव में सेंध न लगा दे. 2008 के चुनाव के मुकाबले 2018 में जैतपुर विधानसभा सीट पर हर चुनाव में कांग्रेस प्रदर्शन सुधर रहा है. 2008 के चुनाव के मुकाबले 2018 में 12% मतों का इजाफा कांग्रेस ने किया है और 39% तक पहुंच चुकी है, जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत 41 में यथावत बना हुआ है जो भाजपा के लिए चिंता का विषय है और शायद यही वजह भी है कि जैतपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस काफी प्रयास कर रही है.
जैतपुर का जातीय समीकरण
जातिगत समीकरण:जैतपुर विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण को समझें तो यह आदिवासी सीट है और आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित भी है. जैतपुर विधानसभा क्षेत्र गोंड और बैगा बाहुल्य क्षेत्र है, यहां पर आदिवासी वोटर्स ही निर्णायक भूमिका में होते हैं. इसीलिए सभी पार्टियां यहां आदिवासी वोट बैंक को साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती हैं.
कैसा है माहौल:जैतपुर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां भाजपा के लिए इस बार राह आसान नहीं होने वाली है क्योंकि पिछले 3 चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत का अंतर कम होता गया है, इसलिए इस बार कांग्रेस भी यहां पूरा जोर लगा रही है. भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता का विषय यह भी है कि यहां से पिछले तीन चुनावों से बीजेपी लगातार जीत कर आ रही है, फिर भी क्षेत्र में यहां बीजेपी विधायक के खिलाफ वोटर्स के बीच में असंतोष देखने को मिल रहा है.
अभी हाल ही में विकास पर्व में जा रही वर्तमान विधायक मनीषा सिंह की गाड़ी को कुछ ग्रामीणों ने बीच रास्ते पर ही रोक दिया था, और सड़क को लेकर शिकायत करनी शुरू कर दी थी, आलम यह हुआ था कि वर्तमान विधायक को वापस जाना पड़ा था. लोगों में वर्तमान विधायक को लेकर इस बात के लिए भी असंतोष है कि क्षेत्र में कोई भी बड़ा कार्य वर्तमान विधायक की वजह से नहीं हुआ है. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इन विधायकों के पास अपनी छोटी छोटी मांग लेकर भी अगर पहुंचते हैं तो ये विधायक सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं कर पाते, जैतपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों का ये भी कहना है कि ऐसे विधायक किस काम के जो क्षेत्र के लिए जरूरी कोई काम ही ना करा सकें, सिर्फ आश्वासन ही देते रहें.
माहौल सही नहीं:गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी ने जैतपुर विधानसभा क्षेत्र में नई प्रत्याशी को मैदान पर इसलिए उतारा था क्योंकि वहां 2008 और 2013 में जीत कर आए विधायक जय सिंह मरावी को लेकर वोटर्स में नाराजगी थी, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने नई प्रत्याशी को वहां से टिकट दिया था, लेकिन अब सवाल यही है कि वर्तमान बीजेपी विधायक को लेकर भी जैतपुर विधानसभा क्षेत्र में माहौल सही नहीं है, ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस बार यहां राजनीतिक बिसात में कैसी चाल चलती है, क्योंकि चुनौती तो उसके सामने भी है