विंध्य बना सियासत का हॉटस्पॉट, क्या यहीं से निकलेगी सत्ता की चाबी, बीजेपी-कांग्रेस समेत सभी का फोकस
मध्यप्रदेश में सियासत का हॉट स्पॉट विंध्य को कहा जा रहा है. यहां पीएम मोदी, प्रियंका गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल ने कई चुनावी रैलियां और सभाओं को संबोधित किया है. हालांकि विंध्य बीजेपी का गढ़ है. यहां पिछले चुनाव में बीजेपी ने 30 में से 24 सीटों पर जीत हासिल की थी. कहा जा रहा है कि सत्ता की चाबी यहीं से होकर निकलेगी.
शहडोल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार प्रसार का दौर बुधवार शाम से थम चुका है और 17 नवंबर को मतदान होना है. इस बार मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में विंध्य पर सभी पार्टियों की नजर है. बीजेपी, कांग्रेस हो या फिर दूसरे पार्टियों के नेता, सभी विंध्य क्षेत्र में पूरा जोर लगाते नजर आए एक तरह से विन्ध्य क्षेत्र सियासत का हॉटस्पॉट बन गया है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विंध्य क्षेत्र का चार बार दौरा कर चुके हैं. वहीं प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के भी कई दौरे हुए. अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं के दौरे हुए कुल मिलाकर इस बार के विधानसभा चुनाव में विंध्य सियासत का हॉटस्पॉट बना हुआ है. ़
विधानसभा चुनाव में विंध्य अहम:मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार विंध्य क्षेत्र इस चुनावी लड़ाई का बड़ा अखाड़ा बनता जा रहा है. विंध्य क्षेत्र में वैसे तो 30 विधानसभा सीट आती है. इन सीटों पर बढ़त का मतलब सत्ता की चाबी भी हासिल हो सकती है, वैसे देखा जाए तो विंध्य क्षेत्र में पूर्वी मध्य प्रदेश के 9 जिले रीवा, शहडोल, सतना, सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, उमरिया, मैहर और मऊगंज आते हैं. 9 जिलों में 30 विधानसभा सीट भी शामिल है. देखा जाए तो विंध्य क्षेत्र में राजनीतिक रूप से कई विविधताऐं पाई जाती हैं. सालों से यहां अलग-अलग दलों और विचारधाराओं को भी पैर जमाते देखा गया है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
बीजेपी का गढ़ बना विंध्य:एक तरह से देखा जाए तो साल 2003 से ही विंध्य क्षेत्र बीजेपी का गढ़ बना हुआ है, और कांग्रेस की कमजोर कड़ी भी बन गया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में जहां एक ओर बीजेपी के हाथ से सत्ता की चाबी चली गई थी, लेकिन विंध्य क्षेत्र ही एक ऐसा था जहां बीजेपी का वर्चस्व कायम था. देखा जाए तो महाकौशल में भी बीजेपी को बड़े झटके लगे थे, लेकिन विंध्य क्षेत्र में खास बात यह रही कि 2003 से साल दर साल चुनावी साल बीतते गए. राजनीतिक समीकरण उलझते गए, लेकिन नहीं बदला तो सिर्फ विंध्य सीटों का भगवाकरण होना.
2018 के चुनाव में महाकौशल के 38 सीटों पर कांग्रेस ने जोरदार मुकाबला करते हुए 24 सीट हासिल कर ली थी. भाजपा को महज 13 सीटों पर ही रोक दिया था, लेकिन विंध्य एक ऐसा क्षेत्र था, जिसने भाजपा को झटका नहीं दिया और यहां तो बीजेपी 30 सीट में से 24 सीट जीतने में कामयाब रही. बड़ी बात यह रही की उस माहौल में विंध्य से कांग्रेस के बड़े नेता अजय सिंह राहुल जैसे को भी हार का सामना करना पड़ा था. रीवा में तो भाजपा ने कांग्रेस का क्लीन स्वीप कर दिया था. 8 के 8 विधानसभा सीट जीतने में कामयाब रहे थे. कुल मिलाकर विंध्य क्षेत्र से बीजेपी को लगातार बढ़त मिली थी और इसीलिए इस बार बीजेपी अपने गढ़ में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
विंध्य बीजेपी का मजबूत गढ़:पिछले कुछ चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो विंध्य में 2003 से ही भाजपा अपनी पकड़ मजबूत बनाती गई. साल 2003 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 30 में से 25 सीट जीती थी. बीजेपी ने 2008 और 2013 में अपने प्रदर्शन को फिर दोहराया. 2008 में बीजेपी ने जहां 24 सीट जीतने में कामयाबी हासिल की तो 2013 में 23 सीट जीतने में कामयाब रही.
विंध्य में मोदी कई बार आये:इस बार मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में विंध्य बीजेपी के लिए कितना अहम है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चार बार विंध्य का दौरा कर चुके हैं और सभाएं कर चुके हैं. सबसे पहले रीवा पहुंचे रीवा के बाद आदिवासी बहुल इलाका शहडोल में उन्होंने सभा किया. शहडोल जिले के पकरिया गांव में चौपाल लगाया. फिर उसके बाद यहां से अभी सीधी में उनका दौरा हुआ. पीएम मोदी का विंध्य आगमन यहीं नहीं रुका. प्रधानमंत्री सतना पहुंचे. सतना में मैहर को मिलाकर संयुक्त रूप से चुनावी सभा की.
विंध्य में पीएम मोदी की सभा
इसके अलावा नड्डा और अमित शाह ने भी यहां के दौरे किए कुल मिलाकर बीजेपी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. विंध्य क्षेत्र पर पूरा फोकस किया गया है. जिससे विंध्य पर उनका वर्चस्व कायम रहे और जिस तरह से 2003 से लगातार यहां बढ़त बनाते आ रहे हैं. एक बार फिर से इस तरह से बढ़त कायम रहे.
विंध्य को साधने कांग्रेस भी नहीं रही पीछे:विंध्य क्षेत्र को साधने के लिए कांग्रेस भी पीछे नहीं रही और इस बार शहडोल जिले के ब्यौहारी में जहां राहुल गांधी ने बड़ी सभा की तो वहीं रीवा में प्रियंका गांधी ने सभा को संबोधित किया. कुल मिलाकर विंध्य में इस बार कांग्रेस भी पूरा जोर लगा रही है. ब्यौहारी में राहुल गांधी ने जिस तरह से सभा को संबोधित किया था. उसमें कांग्रेस का लक्ष्य अनुसूचित जाति, एससी, अनुसूचित जनजाति एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी के बीच अपने समर्थन आधार को मजबूत करना था और वो उनके सभा के भाषण में देखने को भी मिल रहा था. जो क्षेत्र की आबादी का एक अहम हिस्सा भी है.
कांग्रेस जो कभी 1980 और 1990 के दशक में इस क्षेत्र पर पूरी तरह से हावी थी, या यूं कहें कि उसकी तूती बोलती थी, लेकिन 2003 से कांग्रेस की स्थिति यहां कमजोर हुई. 2003 में कांग्रेस जहां चार सीट ही जीतने में कामयाबी हासिल कर पाई थी. 2008 में दो सीट जीत पाई थी. 2013 में 12 सीट जीत सकी थी और 2018 में 6 सीट पर ही सीमित गई थी, लेकिन इस बार कांग्रेस एक बार फिर से उम्मीद भरी नजरों से विंध्य में जोर लगा रही है. अपने हालात को सुधारने में लगी हुई है.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल
देखा जाए तो 1980 के दशक में आरक्षण का वादा करके राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी की राजनीति शुरू करने के लिए स्थानीय और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने इसकी शुरुआत की थी. इसी मुद्दे के साथ वो राष्ट्रीय राजनीति में भी आ गए थे और अब 43 साल बाद कांग्रेस एक बार फिर से राज्य की सत्ता में वापसी के लिए ओबीसी पर राजनीति पर भरोसा कर रही है. जब शहडोल जिले के ब्यौहारी में राहुल गांधी सभा को संबोधित कर रहे थे, तो ओबीसी वर्ग पर उनका पूरा फोकस भी था. इस बार कांग्रेस भी विंध्य में अपने प्रदर्शन को सुधारने में लगी है. यही वजह है कि विंध्य क्षेत्र से आने वाले नेता कमलेश्वर पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया है.
सभा को संबोधित करते राहुल गांधी
विंध्य में दूसरे पार्टियों को भी मिलता रहा मौका:देखा जाए तो विन्ध्य क्षेत्र में बीजेपी-कांग्रेस के बीच टक्कर तो देखने को मिलती ही है, लेकिन इस क्षेत्र में दूसरी विचारधाराओं की पार्टियों को भी मौका मिलता रहा है. यह क्षेत्र वैकल्पिक राजनीति की संभावनाओं से भरा हुआ क्षेत्र है. यहां पर बीजेपी-कांग्रेस के अलावा बीएसपी, एसपी, कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी, सीपीएम जैसी वैकल्पिक विचारधारा वाली पार्टियों के लिए भी विन्ध्य एक बहुत बड़ा मैदान रहा है.
विंध्य क्षेत्र के रीवा संसदीय क्षेत्र से तीन बार बसपा सांसद और विंध्य के कई अलग-अलग सीटों से पांच बार बसपा विधायक चुने गए हैं. सपा ने पहले भी इस क्षेत्र में दो सीट जीती हैं. इस बार विंध्य क्षेत्र में विंध्य जनता पार्टी ने भी चुनाव लड़ा है. इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी ने पूरे दमखम के साथ यहां चुनाव लड़ा है. नगरीय निकाय के चुनाव में तो आम आदमी पार्टी की यहां एंट्री भी हो चुकी है. यहां सिंगरौली से आम आदमी पार्टी का महापौर भी चुना गया है. कुल मिलाकर, अलग-अलग दलों के लिए भी विंध्य कदम रखने के लिए एक अच्छा मैदान रहा है.
विंध्य सियासत का हॉटस्पॉट: एक तरह से देखा जाए तो मध्य प्रदेश का पूर्वी इलाका विंध्य क्षेत्र इसीलिए सियासत का हॉटस्पॉट भी बना हुआ है. यहां पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार दौरे कर चुके हैं. अमित शाह और जेपी नड्डा जैसे बड़े केंद्रीय नेताओं के दौरे हो चुके हैं. तो वहीं बीजेपी कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका भी यहां अपनी सभाएं कर चुके हैं. इसके अलावा आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान साथ ही, समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव, बहुजन समाजवादी पार्टी से मायावती, जैसे नेताओं ने यहां अपनी सभा की है. लगातार यहां अपनी नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि विन्ध्य एक तरह से देखा जाए तो बीजेपी कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टियों को भी समय-समय पर पैर जमाने के लिए जमीन देता रहा है और शायद यही वजह भी है कि मध्य प्रदेश का विंध्य इलाका इस बार के विधानसभा चुनाव में भी सियासत का हॉटस्पॉट बना हुआ है।.