MP Weather फसलों पर पाला लगने का खतरा शहडोल।फसलों पर पाला पड़ने का खतरा बढ़ने लगा है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति के मुताबिक जिले में दिन-प्रतिदिन दिन और रात के तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. ऐसे में मौसम में फसलों पर शीतलहर और पाले की बहुत ज्यादा आशंका हो जाती है. ये मौसम गेहूं और जौ की फसलों के लिए तो बहुत ही फायदेमंद है, लेकिन टमाटर, मिर्च, बैगन, धनिया के अलावा सरसों की फसल पर पाले की समस्या देखने को मिल सकती है. किसानों को बहुत ज्यादा संभलकर रहना होगा. फसलों का सतत निरीक्षण करते रहना होगा. पाला को लेकर तो बहुत ही ज्यादा सतर्क रहना होगा.
कब लगता फसलों में पाला :कृषि वैज्ञानिक प्रजापति बताते हैं कि दोपहर के समय या उसके पहले शीतलहर चल रही हो और हवा का तापमान जमाव बिंदु से कम हो जाए, दोपहर के बाद अचानक मौसम बिल्कुल साफ हो जाए और हवा चलना बिल्कुल बंद हो जाए तो इस अवस्था में निश्चित रूप से पाले की समस्या फसलों पर देखने को मिलेगी. इस अवस्था में बर्फ की जो पतली परत होती है वह पौधे की कोशिकाएं के अंदर की ओर और बाहर की ओर जमा हो जाती हैं. जिसके चलते कोशिकाएं टूट जाती हैं. एक तरह से फ्रैक्चर हो जाता है. जिसके कारण कार्बन डाइऑक्साइड, प्रकाश संश्लेषण जैसी विभिन्न क्रियाएं पौधों में नहीं होती. वाष्पीकरण भी रुक जाती है, जिसके चलते पौधे की पत्तियां झुलस जाएंगी और सूखकर गिर जाएंगी. पाला पड़ने पर फसलों में जो फूल बनने की अवस्था में होते हैं वो फूल झड़ जाते हैं. इस तरह पाले की वजह से अच्छा खासा नुकसान हो जाता है.
MP Weather फसलों पर पाला लगने का खतरा पाला लगने से फसलों को कैसे बचाएं :कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि पाले से फसलों के बचाव के लिए जो उपाय करने चाहिए उसमें सर्वप्रथम भूमि को हमेशा सिंचित करके रखें. भूमि को बिल्कुल भी सूखा ना छोड़ें. भूमि में नमी बनी रहे, भूमि को अगर सिंचित करते हैं और अगर स्प्रिंकलर इरिगेशन से करते हैं तो उसके चलते भूमि में नमी बनी रहेगी. उससे तापमान कम नहीं होता है. इसके अलावा भूमि की कभी खुदाई ना करें और न ही कभी जुताई करें, अन्यथा भूमि की जो नमी है, वो ऊपर उठ जाएगी. इसके अलावा दीर्घकालीन शीतलहर और पाले से फसलों के बचाव के लिए अगर शहतूत के पेड़, बबूल, मुनगा के पौधे, जामुन का वृक्ष अगर खेतों पर लगाते हैं तो निश्चित रूप से वो इन हवाओं को आने से रोकेंगे. जिससे हम फसल की सुरक्षा कर सकते हैं. इसके अलावा हमारे नर्सरी के जो पौधे हैं, वह बहुत ही छोटे होते हैं उनको पाले से बचाने के लिए उपाय कर सकते हैं. वहां पर जूट की बोरी लगा दें जिससे हवा रुकेगी और कोशिश करें कि नर्सरी के पौधे को कास्ट टनल पॉलिथीन के अंतर्गत रोपण करना चाहिए. पॉलिथीन से ढंक देना चाहिए.
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रासायनिक दवाओं का प्रयोग :कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति बताते हैं कि इसके अलावा अगर हम केमिकल्स के माध्यम से पाले के प्रभाव को कम करना चाहते हैं तो हमें थायो यूरिया की 1 ग्राम मात्रा 2 लीटर पानी में घोलकर के 15 दिन के अंतराल में फसल पर छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा सल्फर डस्ट 6 से 8 केजी प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना होता है. 15 दिन के अंतराल में ही इसका भी छिड़काव किया जा सकता है. अगर घुलनशील सल्फर उपलब्ध है तो 2 ग्राम मात्रा 1 लीटर पानी में लेकर 15 दिन के अंतराल में छिड़काव करते रहें. इसके अलावा पौधों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी ये दवाएं काम करती हैं. जिससे हम अपनी फसलों को पाले से तो बचा ही सकते हैं. साथ ही फसलों में लगने वाली और कीट बीमारियों से भी बचाया जा सकता है.