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MP Assembly Election 2023: विधासनभा चुनाव में छोटे दलों के उतरने पर क्यों चिंतित हैं दिग्विजय सिंह - विधासनभा चुनाव में छोटे दलों से कांग्रेस चिंतित

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शहडोल जिले के दौरे पर हैं. यहां उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने प्रदेश की बीजेपी सरकार को कई अहम मुद्दों को लेकर घेरा. इसके साथ ही प्रदेश में अन्य दलों द्वारा चुनाव लड़ने को लेकर भी उन्होंने कहा कि ये दल बीजेपी को मदद पहुंचाते हैं. ये दल कांग्रेस का वोट काटते हैं.

MP Assembly Election 2023
विधासनभा चुनाव में छोटे दलों के उतरने पर चिंतित हैं दिग्विजय सिंह

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Published : May 13, 2023, 7:51 AM IST

विधासनभा चुनाव में छोटे दलों के उतरने पर चिंतित हैं दिग्विजय सिंह

शहडोल।पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए संगठन को मजबूत करने के लिए जिलों के दौरे कर रहे हैं. इसी कड़ी में वह शहडोल पहुंचे. उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं. जिन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है, उन पर विशेष तौर पर जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई है कि जाकर देखें कि क्या किया जा सकता है. जिन क्षेत्रों में कांग्रेस कमजोर है, उन कमियों को दूर किया जा सके.

कांग्रेस संगठन को मजबूत किया :दिग्विजय सिंह ने कहा कि कुछ सीटों पर कांग्रेस का संगठन कमजोर रहा है, इसे स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन कमलनाथ ने सुव्यवस्थित ढंग से पूरा ढांचा तैयार करने का प्लान बनाया है. इसमें हर विधानसभा सीट को बांट दिया गया है. मंडल सेक्टर में 10 से 15 पोलिंग बूथ, 3 से 5 पोलिंग बूथ का एक सेक्टर और नीचे पोलिंग बूथ कमेटी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि पहले भी प्रयास होता था लेकिन इतना व्यवस्थित ढंग से नहीं हो पाता था.

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मुख्य मुकाबला बीजेपी व कांग्रेस के बीच : दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रदेश में लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच है. कुछ राजनीतिक दल भाजपा के सहयोग के लिए कैंडिडेट उतारते हैं. कांग्रेस का वोट काटने के लिए बीजेपी ऐसा करती है. इन दलों में गोंडवाना गणतंत्र परिषद व बीएसपी भी हैं. अब आम आदमी पार्टी आई है और कुछ जगह पर एमआईएमआईएम भी आ जाती है, जोकि पूरे तरीके से भाजपा के सहयोग के लिए चुनाव लड़ती हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में लगभग 20 साल से कांग्रेस विपक्ष में है. 15 महीने कमलनाथ की सरकार रही. इन 15 माह के सरकार को छोड़ दें तो साढ़े 18 साल से ज्यादा तो भाजपा सरकार में रही. यदि आप 2003, 2008, 2013, 2018 के चुनाव घोषणा पत्र भारतीय जनता पार्टी का देखेंगे तो पता चलेगा कि कितने वादे उनके पूरे हुए.

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