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शहडोल: दीपावली के अगले दिन आदिवासी मनाते हैं मौनी व्रत, करते हैं गाय की पूजा

शहडोल जिले के इस आदिवासी अंचल के कई गांवों में दिवाली के दूसरे दिन मौनी व्रत मनाया जाता है. इस व्रत में गौ माता की पूजा की जाती है.

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Published : Oct 28, 2019, 10:31 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 11:12 PM IST

दीपावली के अगले दिन आदिवासी मनाते हैं मौनी व्रत

शहडोल। बदलते वक़्त के साथ बहुत कुछ बदल रहा है, पहले गांव में दीवाली के समय अलग-अलग परंपराएं देखने को मिलती थी, लेकिन आजकल बहुत सारी परंपराएं विलुप्ति की कगार पर हैं. हलांकि कुछ जगहों पर आज भी इन परंपराओं का निर्वाहन किया जा रहा, इन्हीं में से एक है मौनी व्रत, जिसे शहडोल जिले के इस आदिवासी अंचल के कई गांवों में मनाया जाता है.

दीपावली के अगले दिन आदिवासी मनाते हैं मौनी व्रत


सुबह इस व्रत को रखने वाले लोग गौ माता की पूजा करते हैं और उसके पैरों के नीचे से 4 बार लेटकर निकलते हैं. इसके फिर ठाकुर बाबा की दौड़कर परिक्रमा करते हैं और फिर जंगलों की ओर निकल जाते हैं, जहां ये लोग एक दूसरे से बात नहीं करते हैं. केवल बांसुरी बजाकर या फिर सीटी बजाकर पूरे दिन जंगल में ही रहते हैं और गायों को चराते हैं.


शाम होने के बाद वह पुन: उसी जगह पर लौटते हैं, जहां एक बार फिर से गौ माता की पूजा उसी विधि से की जाती है. शाम के वक़्त 3 बार गौ माता के पैरों के नीचे से निकलते हैं. इसके बाद उनके घरों से जो भी खाना बनता हैं, उसे गौ माता को खिलाते हैं और फिर गौमाता के जूठन को उन्हीं की तरह लेटकर खाते हैं. इस तरह से उनकी पूजा और मौन व्रत सम्पन्न होता है.


दिवाली की सुबह मौनी व्रत की ये परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि वो जब से देख रहे हैं तभी से ये परंपरा चली आ रही है, लेकिन आज कई गांवों में ये मौनी व्रत की परंपरा अब बंद भी हो चुकी है और जिन गांवों में इस परंपरा को निभाया जा रहा है, वहां भी इस व्रत को करने वाले लोगों की संख्या घट चुकी है.

Last Updated : Oct 28, 2019, 11:12 PM IST

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