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खेत में मिलाएं हरी खाद, तीन साल तक बंपर उत्पादन पाएं, जानिए कैसे? - खेत की उर्वरा शक्ति

बदलते वक्त में खेती करना बहुत महंगा (Costly) होता जा रहा है. इसका कारण रासायनिक खाद (chemical fertilizer) व यूरिया (Urea) का अधिक उपयोग है. लेकिन आज भी किसानों के पास एक आसान उपाय है, जिसकी मदद से न सिर्फ खेतों की उर्वरा शक्ति (fertility power) बढ़ेगी, बल्कि खर्च में भी काफी कमी आएगी. दरअसल, हम बात कर रहे हैं, सनई की खेती (Sanai Farming) की, जो हर तीन साल में किसान (Farmers) को एक बार करनी चाहिए. जिसे खेतों की मिट्टी को पोषण मिलता था, और फसल की बंपर पैदावार होती है.

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शहडोल न्यूज

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Published : Oct 3, 2021, 9:32 AM IST

Updated : Oct 3, 2021, 2:28 PM IST

शहडोल। बदलते वक्त के साथ बहुत कुछ बदल रहा है. पहले के समय में जब किसान ट्रेडिशनल खेती (traditional farming) किया करता थे, तो बहुत सारी चीजें ऐसे खेतों में इस्तेमाल करते थे, जोकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति (Fertility power) कई साल के लिए बढ़ा देती थी. इन्हीं में से एक है ग्रीन खाद (green manure) की प्रक्रिया, जिसमें किसान (Farmer) अपने खेतों पर सनई (Sanai) के बीज बोते हैं, और उसे ग्रीन खाद के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. इससे खेतों की मिट्टी को पोषण मिलता है, और फसल की बंपर पैदावार होती है. बदलते वक्त के साथ अब लोग इसे भूलते जा रहे हैं. कुछ ही किसान ऐसे बचे हैं जो इस तरह ग्रीन खाद का अपने खेतों पर इस्तेमाल करते हैं.

आखिर सनई कैसे किसानों के लिए फायदेमंद है और इसका क्या-क्या इस्तेमाल हो सकता है. किस तरह से इसका ग्रीन खाद बनाया जाता है. कैसे एक बार इसे खेत में मिलाने पर 3 साल के लिए किसान बंपर पैदावार ले सकता है, देखिए यह रिपोर्ट...

खेत में मिलाएं हरी खाद, तीन साल तक बंपर उत्पादन पाएं
जानिए क्या है सनई?

सनई जिसे इंग्लिश में सन हैम्प कहते हैं, इसका वैज्ञानिक नाम क्रोटालारिया जुंसिया है, यह एक ऐसा पौधा है जिसका उपयोग हरी खाद बनाने में बहुतायत में किया जाता है. इसके अलावा भी इसके आज कल बहुत सारे उपयोग हो रहे हैं, लेकिन बदलते वक्त के साथ किसानों के बीच में सनई की खेती का प्रचलन कम हुआ है. हालांकि, आज भी कुछ किसान ऐसे हैं जो ट्रेडिशनल खेती करते हैं. जैविक खेती करते हैं और सनई जैसे हरी खाद का इस्तेमाल कुछ साल के अंतराल में अपने खेतों का पोषण करने के लिए जरूर करते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि हरी खाद खेत की मिट्टी का पोषण करता है.

खेत में मिलाएं हरी खाद, तीन साल तक बंपर उत्पादन पाएं
बड़े काम का सनई

सनई के बारे में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इसका मूल रूप फाइबर क्रॉप है, शुरूआत में इसका उपयोग रस्सी बनाने के लिए, कैनवास बनाने के लिए, टाट पट्टी बनाने के लिए आदि में मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल किया जाता था.

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कई तरह से होता है इसका इस्तेमाल

वैसे तो सनई की खेती शहडोल जिले में भी कुछ साल पहले तक बहुतायत में किसान करते थे. खासकर इसका हरी खाद के तौर पर बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता था, लेकिन बदलते वक्त के साथ क्षेत्र से इसकी खेती में कमी आई है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि मुख्य रूप से इसकी खेती मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु इन जगहों पर कहीं-कहीं होती है. इसके सबसे बड़े उपयोग की बात की जाए हेल्थ परपज से तो ये लैग्जेटिव होता है. इसके दाने के पाउडर का इस्तेमाल भी किया जाता है. इससे हाई क्वालिटी टिशू पेपर, हाई क्वालिटी सिगरेट पेपर, हाई क्वालिटी करेंसी पेपर आदि में भी सनई का इस्तेमाल किया जाता है.

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हरी खाद बन जाने पर मिट्टी के लिए अमृत का काम

कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह आगे बताते हैं कि किसानों के दृष्टिकोण से बात की जाए तो ये लेग्यूमिनेसी क्रॉप है. तो यह सीधे नाइट्रोजन फिक्सेशन (Nitrogen fixation) भी करता है, एक तरह से कवर क्रॉप के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. मतलब इसकी जहां बुवाई कर दी जाती है, वहां घास आदि को ये जमने नहीं देता है. इसके साथ ही इसका हरी खाद के तौर पर भी बहुत अच्छा इस्तेमाल होता है. खेत में पहले इसके दाने की बुवाई कर दी जाती है. जब 1 महीने की फसल हो जाती है पूरे खेत को कवर कर लेती है, कोमल होता है फलने फूलने से पहले, इसकी जुताई खेत में ही कर देते हैं, जिस खेत में सनई का पौधा होता है, तो यह ग्रीन मैन्योर का काम करती है. इसके मल्टीपरपज बहुत सारे उपयोग हैं.

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पानी को रोकने की बढ़ती है क्षमता

इससे फायदा ये होता है कि मिट्टी का जो टेक्सचर है. उसमें काफी इंप्रूवमेंट हो जाता है. जब इसका हरी खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और जब यह हरी खाद पूरी तरह से खेत में बन जाता है. तब जब आप खेत पर चलेंगे तो ऐसा लगेगा कि आप गद्दे पर चल रहे हैं. मतलब मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाती है, मुलायम हो जाती है, उसमें से कॉम्पेक्टनेस खत्म हो जाती है. इसके अलावा मिट्टी में वाटर को लंबे समय तक रोकने की क्षमता बढ़ जाती है. इसके साथ में जब इसका डी कंपोजिशन हो जाता है तो साथ में कई न्यूट्रिएंट्स उसको मिलते हैं जैविक न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं.

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खेत का पोषण बढ़ाने पर जोर

डॉक्टर ने आगे बताया कि किसान फसल के लिए फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करते हैं, जबकि हमें खेत का पोषण करना चाहिए, मिट्टी का पोषण करना चाहिए, ग्रीन मैन्योर का बेसिक परपज ये है कि खेत का पोषण होना चाहिए. खेत का टेक्सचर बदलना चाहिए जिससे बहुत सारी माइक्रोबियल एक्टिविटीज (Microbial Activity) बढ़ जाती हैं. सनई की हरी खाद खेत में मिट्टी के पोषक तत्व बढाने का बड़ी तेजी के साथ काम करती है.

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हर तीन साल में हरी खाद का उपयोग

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि हरी खाद का इस्तेमाल खेत में एक बार कर लेने के बाद 3 साल तक इसका असर रहता है. मतलब 3 साल के बाद फिर दूसरी बार इस्तेमाल करना चाहिए. गौरतलब है कि सनई के पौधे को खेतों में लगाकर खेतों में हरी खाद तैयार करके किसान इस बदलते दौर में अपने खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकता हैं. साथ ही खेत की मिट्टी का टेक्सचर बदल सकते हैं, मिट्टी का पोषण कर सकते हैं, और जब खेत की मिट्टी अच्छी रहेगी तो निश्चित तौर पर फसल का उत्पादन भी बंपर होगा क्योंकि हरी खाद खेत की मिट्टी को उपजाऊ बना देता है. जिससे किसानों के लागत में भी कमी आती है.

Last Updated : Oct 3, 2021, 2:28 PM IST

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